नई दिल्ली
दुनिया इस समय खतरनाक दौर से गुजर रही है. रूस-यूक्रेन युद्ध जारी है, गाजा में इजरायल और हमास के बीच खूनखराबा थमने का नाम नहीं ले रहा और कुछ ही महीने पहले भारत-पाकिस्तान भी पहलगाम आतंकी हमले और उसके जवाब में ऑपरेशन सिंदूर के बाद जंग के मुहाने पर आ गए थे. ऐसे हालात में भारत के पास दुनिया की सबसे ताकतवर सेनाओं जैसी क्षमता होना सिर्फ जरूरत नहीं, बल्कि मजबूरी भी है.
इसी को ध्यान में रखते हुए रक्षा मंत्रालय ने आने वाले 15 सालों के लिए अपनी ‘टेक्नोलॉजी विजन एंड कैपेबिलिटी रोडमैप’ पेश की है. यह रोडमैप साफ बताता है कि 2040 तक भारत की थल सेना, नौसेना और वायुसेना कैसी दिखेगी और किन हथियारों से लैस होगी.
यही नहीं सेना 50,000 टैंक-माउंटेड एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइलें, 700 से ज्यादा रोबोटिक IED-रोधी सिस्टम और 6 लाख तोप के गोले खरीदने जा रही है. ड्रोन और अनमैन्ड एरियल सिस्टम्स (UAS) भी बड़ी संख्या में शामिल होंगे, जिससे जमीनी ऑपरेशन और भी तेज और सटीक बन सकेंगे.
नौसेना को न्यूक्लियर वॉरशिप और नया एयरक्राफ्ट कैरियर
भारतीय नौसेना (Navy) आने वाले 15 सालों में एक और एयरक्राफ्ट कैरियर तैनात करेगी. 2022 में INS विक्रांत के शामिल होने के बाद यह दूसरी बड़ी छलांग होगी. नौसेना 10 नेक्स्ट-जनरेशन फ्रिगेट, 7 एडवांस्ड कॉर्वेट्स और 4 लैंडिंग डॉक्स खरीदेगी.
सबसे अहम बात न्यूक्लियर पावर से चलने वाले वॉरशिप को मंजूरी मिल गई है. यानी आने वाले वक्त में भारत के जहाज न सिर्फ ताकतवर होंगे, बल्कि लंबे वक्त तक समुद्र में तैनात रह पाएंगे. नौसेना को 100 नए फास्ट इंटरसेप्टर क्राफ्ट और 150 टॉरपीडो भी मिलेंगे, जिनकी मारक क्षमता 25 किमी से ज्यादा होगी.
आसमान में अब होंगे स्टेल्थ ड्रोन और हाई-एल्टीट्यूड सैटेलाइट
वायुसेना (Air Force) की ताकत अगले 15 सालों में और भी विस्फोटक होने वाली है. योजना के तहत 75 हाई-एल्टीट्यूड प्सूडो सैटेलाइट, 150 स्टेल्थ बॉम्बर ड्रोन और सैकड़ों प्रिसिजन-गाइडेड हथियार शामिल किए जाएंगे. साथ ही 100 से ज्यादा रिमोटली पायलटेड एयरक्राफ्ट तैनात होंगे.
इससे भारत की स्काई-डिफेंस मल्टी-लेयर हो जाएगी… जमीन से हवा और हवा से हवा तक हर मोर्चे पर दुश्मन को कड़ी टक्कर मिलेगी.
लेजर और डायरेक्टेड एनर्जी वेपन- भविष्य के युद्ध का असली हथियार
रक्षा मंत्रालय की योजना में सबसे खास बात है… लेजर वेपन और डायरेक्टेड एनर्जी सिस्टम. ये ऐसे हथियार हैं जो पारंपरिक गोलियों या मिसाइलों की बजाय ऊर्जा किरणों से दुश्मन को ध्वस्त करते हैं. चीन पहले ही इन्हें अपनी परेड में दिखा चुका है, और अब भारत भी इन्हें तेजी से विकसित करेगा.
इसके अलावा सेना को 500 हाइपरसोनिक मिसाइलें भी मिलेंगी, जिनकी स्पीड इतनी तेज होगी कि दुश्मन का कोई भी डिफेंस सिस्टम उन्हें रोक नहीं पाएगा. साथ ही भारत दुश्मन के हाइपरसोनिक हथियारों को पहचानने और नष्ट करने की तकनीक भी खरीदेगा.
साइबर डिफेंस और स्पेस सिक्योरिटी
नई योजना में साइबर डिफेंस और सैटेलाइट सिक्योरिटी को भी प्राथमिकता दी गई है. आने वाले समय में सैटेलाइट कम्युनिकेशन को ‘साइबर-हार्डनिंग’ से लैस किया जाएगा और स्पेस-बेस्ड लेजर रेंज फाइंडर लगाए जाएंगे. यानी दुश्मन अगर सैटेलाइट्स को निशाना बनाने की कोशिश करेगा तो भारत के पास उसका तोड़ पहले से होगा.
ऑपरेशन सिंदूर के बाद आई चेतावनी
यह विजन डॉक्यूमेंट ऐसे समय आया है जब कुछ ही महीने पहले अप्रैल में पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने ऑपरेशन सिंदूर लॉन्च किया था. इसमें 26 नागरिकों की जान गई थी और भारत ने पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर सटीक वार किए थे. जवाब में पाकिस्तान ने हजारों ड्रोन और रॉकेट भारत की ओर दागे, लेकिन ज्यादातर भारतीय एयर डिफेंस सिस्टम ने हवा में ही नष्ट कर दिए. यानी भविष्य की जंग अब सिर्फ जमीन पर नहीं, बल्कि हवा, समुद्र, साइबर और स्पेस में भी लड़ी जाएगी.
क्यों अहम है यह रोडमैप?
रक्षा मंत्रालय का साफ कहना है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, रोबोटिक्स और नई टेक्नोलॉजी के बिना आने वाले वक्त में कोई भी युद्ध नहीं जीता जा सकता. यही वजह है कि यह 15 साल की योजना सिर्फ हथियारों की लिस्ट नहीं है, बल्कि भारतीय प्राइवेट इंडस्ट्री और R&D सेक्टर को भी संकेत है कि उन्हें किस दिशा में काम करना होगा.
मंत्रालय के मुताबिक, यह रोडमैप देश की निजी कंपनियों और उद्योग जगत को इस काबिल बनाएगा कि वे भविष्य के युद्ध के लिए जरूरी हथियार और तकनीक भारत में ही बना सकें.
संक्षेप में कहें तो आने वाले 15 सालों में भारत की सेना टैंक से लेकर लेजर वेपन और हाइपरसोनिक मिसाइलों तक से लैस होगी. दुश्मन चाहे जमीन से हमला करे, आसमान से आए, समुद्र से घुसे या साइबर-स्पेस से चोट करे. भारत की तीनों सेनाएं हर मोर्चे पर तैयार खड़ी होंगी.