नई दिल्ली
भारत से भागे आर्थिक अपराधियों और फरारों को वापस लाने की कोशिशों को तेज करते हुए ब्रिटेन की क्राउन प्रॉसिक्यूशन सर्विस (CPS) की टीम ने हाल ही में तिहाड़ जेल का दौरा किया. जानकारी के मुताबिक, यह दौरा जुलाई में हुआ था, जिसमें ब्रिटेन से आए पांच मेंबर्स शामिल थे.इस दौरे का मकसद ब्रिटेन की अदालतों को यह दिखाना था कि भारत में प्रत्यर्पित किए गए आरोपियों को तिहाड़ जेल में सुरक्षित और बेहतर माहौल मिलेगा.
दरअसल, हाल ही में ब्रिटेन की अदालतों ने तिहाड़ की स्थिति को लेकर कई मामलों में भारत की प्रत्यर्पण याचिकाएं खारिज कर दी थीं. इसी वजह से भारत सरकार ने ब्रिटेन को आश्वासन दिया कि किसी भी आरोपी के साथ जेल में न तो मारपीट होगी और न ही गैरकानूनी पूछताछ की जाएगी.
जेल की सुविधाओं का निरीक्षण
CPS की टीम ने तिहाड़ की हाई-सिक्योरिटी वार्ड का निरीक्षण किया और वहां मौजूद कैदियों से बातचीत भी की. अधिकारियों ने टीम को भरोसा दिलाया कि अगर जरूरत पड़ी तो जेल परिसर में एक खास "एन्क्लेव" बनाया जाएगा, जहां विजय माल्या, नीरव मोदी जैसे हाई-प्रोफाइल आरोपी सुरक्षित रह सकें.
प्रत्यर्पण मामलों में अहम कदम
भारत के अभी तक 178 प्रत्यर्पण अनुरोध विदेशों में लंबित हैं, जिनमें से करीब 20 अकेले ब्रिटेन में फंसे हैं. इनमें विजय माल्या, नीरव मोदी, हथियार कारोबारी संजय भंडारी और कई खालिस्तानी नेताओं के नाम शामिल हैं. भारत सरकार इन मामलों को लेकर लगातार ब्रिटेन के साथ कोऑर्डिनेशन में है.
भारत ने दिया भरोसा
इस पूरे प्रोसेस का मुख्य उद्देश्य ब्रिटेन की अदालतों को यह विश्वास दिलाना है कि भारत प्रत्यर्पित आरोपियों को मानवाधिकारों के अनुरूप सुविधाएं देगा. सरकार ने साफ कहा है कि जेल में कैदियों के साथ किसी तरह का गैरकानूनी व्यवहार नहीं किया जाएगा.
विजय माल्या और नीरव मोदी पर क्या हैं आरोप?
विजय माल्या और नीरव मोदी पर भारत में धोखाधड़ी, मनी लॉन्ड्रिंग और आपराधिक साजिश के आरोप हैं. दोनों बैंक लोन डिफॉल्ट मामलों से जुड़े हैं और आरोप सामने आने से पहले ही ब्रिटेन भाग गए. भारतीय अदालतों ने इन्हें "फ्यूजिटिव इकोनॉमिक ऑफेंडर्स" घोषित किया.
विजय माल्या का मामला किंगफिशर एयरलाइंस के पतन से जुड़ा है, जिसने भारतीय बैंकों से लिए लगभग 9,000 करोड़ रुपये का लोन नहीं चुकाया. जांच में आरोप लगे कि उन्होंने लोन की रकम दूसरी जगह खर्च की और वसूले गए सर्विस टैक्स का भी भुगतान नहीं किया. 2020 में ब्रिटेन की अदालत ने उनके प्रत्यर्पण को मंजूरी दी थी, लेकिन वह अब तक एक गोपनीय कानूनी प्रक्रिया के चलते भारत नहीं लाए जा सके हैं.
नीरव मोदी पंजाब नेशनल बैंक (PNB) घोटाले का मुख्य आरोपी है, जिसमें फर्जी LoU के ज़रिए लगभग 14,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. 2019 में लंदन में गिरफ्तारी के बाद 2021 में ब्रिटेन की अदालत ने उसके प्रत्यर्पण को मंजूरी दी थी. हालांकि उसकी अपीलें लगातार खारिज होती रही हैं और मई 2024 तक वह ब्रिटेन की जेल में ही बंद है.