बेतिया
बिहार के पश्चिम चंपारण जिले का बेतिया विधानसभा क्षेत्र अपने दामन में समृद्ध इतिहास समेटे हुए है। बेतिया ने इतिहास और समय के साथ सियासत को बदलते हुए भी देखा है। बेंत के जंगलों की वजह से इसका नाम बेतिया पड़ा था। मुगल काल में बेतिया राज की जमींदारी मशहूर थी, जिसके अधीन करीब 15000 एकड़ भूमि थी। आजादी के बाद लगातार 11 चुनावों में यह कांग्रेस का गढ़ बना रहा, जिसे 1990 में भाजपा के मदन प्रसाद जायसवाल ने ध्वस्त कर भगवा झंडा लहराया। तब से सिर्फ दो चुनावों को छोड़कर भाजपा ही जीतती रही है।
वर्तमान में यहां की विधायक पशुपालन एवं मत्स्य संसाधन मंत्री रेणु देवी हैं। वह पांच बार यहां का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं। रेणु देवी पहली बार वर्ष 2000 के चुनाव में जीती थीं। 2015 में जब जदयू और भाजपा का गठबंधन टूटा तो कांग्रेस के मदनमोहन तिवारी (कांग्रेस) ने रेणु देवी (भाजपा) को 2320 मतों के मामूली अंतर से हराया था। तब राजद एवं कांग्रेस के साथ जदयू भी महागठबंधन में था। लेकिन, 2020 के चुनाव में उन्होंने मदन मोहन तिवारी को पराजित कर फिर से यह सीट अपने नाम कर ली।
रेणु देवी 16 नवंबर 2020 से 9 अगस्त 2022 तक राज्य की पहली महिला उपमुख्यमंत्री भी रहीं। बेतिया नगर निगम और मझौलिया प्रखंड को मिलाकर बनाए गए इस विधानसभा क्षेत्र की सियासत भाजपा और कांग्रेस के इर्द-गिर्द ही घूमती रही है। अब तक हुए चुनाव में 12 बार कांग्रेस, एक बार जनता दल एवं पांच बार भाजपा ने जीत दर्ज की है। 1995 में जनता दल के बीरबल यादव ने यहां से जीत दर्ज की। इस बार चुनाव में भाजपा की रेणु देवी जीत का छक्का लगाने को लेकर सक्रिय हैं।
उधर, एक बार फिर कांग्रेस अपनी खोई जमीन वापस पाने की तैयारी में जोरदार तैयारी कर रही है। जन सुराज ने भी क्षेत्र में पूरा जोर लगाया है। प्रशांत किशोर ने पदयात्रा की शुरुआत चंपारण से की थी। वह जिले का कई बार दौरा कर चुके हैं। कई गांवों में जन सुराज का जनसंवाद भी हुआ है। एक बड़े व्यवसायी भी निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी में हैं।
कभी मिनी चंबल कहलाता था बेतिया
बेतिया (पश्चिम चंपारण) जिला कभी मिनी चंबल के नाम से खौफ का पर्याय था। मगर बीते दो दशक में पटना, यूपी एवं दिल्ली से रेल-सड़क संपर्कता बेहतर हुई है। अस्पताल में भी इलाज की सुविधा बढ़ी है। हालांकि शहर की जर्जर सड़कें और जल जमाव की समस्या हल होना बाकी है।
बेतिया विधानसभा सीट एक नजर में-
इस विधानसभा में कुल मतदाताओं की संख्या 299915 है। इनमें 158877 पुरुष, 141028 महिला और 10 थर्ड जेंडर वोटर हैं। बेतिया विधानसभा सीट के पूरब में सुगौली (पूर्वी चंपारण), पश्चिम में चनपटिया एवं योगापट्टी, उत्तर में सिकटा एवं चनपटिया और दक्षिण में नौतन पड़ता है।
पांच साल में दिखे ये बदलाव-
⦁ पॉलिटेक्निक कॉलेज बना
⦁ गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज का भवन बनकर तैयार हुआ
⦁ घरों में बिजली पहुंची, विस क्षेत्र में 35 से अधिक सड़कें बनीं
⦁ गांव में पशु चिकित्सा वैन पहुंच रही, मवेशियों के इलाज में सुविधा
⦁ बरवत में एक लाख लीटर क्षमता वाले दूध शीतक केंद्र की मिली मंजूरी
वादे जो पूरे नहीं हुए
1. बरवत-जीएमसीएच फोरलेन व जगदीशपुर-भरपटिया बाइपास सड़क नहीं बनी
2. बेतिया शहर की मुख्य सड़कों का निर्माण नहीं हो सका
3. बेतिया नगर निगम क्षेत्र में नई शामिल पंचायतों में सड़क-नाली नहीं बनी
4. हर घर नल का जल का लाभ बेतिया शहरी क्षेत्र के अधिकतर लोगों को नहीं मिला
इस बार के चुनावी मुद्दे
⦁ शहर की जर्जर सड़कों की मरम्मत
⦁ नगर निगम में नए शामिल मोहल्लों में सड़क-नाला निर्माण
⦁ स्ट्रीट लाइट एवं शुद्ध पेयजल की सुविधा नहीं
⦁ बेतिया में सरकारी महिला डिग्री कॉलेज की स्थापना
⦁ चंद्रावत, कोहरा और अन्हरी-चन्हरी नदी का अतिक्रमण एवं उसमें गाद भरना
बेतिया से विधायक और पशुपालन एवं मत्स्य संसाधन मंत्री रेणु देवी का दावा है कि क्षेत्र में 35 से अधिक सड़कें बनी हैं। बरवत-जीएमसीएच सड़क चौड़ीकरण, जगदीशपुर-भरपटिया बाइपास, खीरी के पेड़-कमलनाथनगर से सुप्रिया रोड, चीनी मिल समेत तमाम सड़क एवं पुल के लिए टेंडर हो चुका है। महिला कॉलेज के भवन का शिलान्यास हो चुका है।
पूर्व कांग्रेस विधायक मदन मोहन तिवारी का आरोप है कि बेतिया नगर निगम क्षेत्र में जलजमाव की समस्या खत्म नहीं हुई। चंद्रावत में शहर का पानी गिरता है, उस पर अतिक्रमकण है और बची नदी में गाद भर गई है। शहरी क्षेत्र की सभी सड़कें जर्जर हैं। महना-मझौलिया सड़क पूरी तरह जर्जर हो चुकी है। जमीन माफिया के आतंक से रैयत त्राहिमाम कर रहे हैं। आधा दर्जन से अधिक पुल-पुलिया नहीं बने।
बेतिया विधानसभा सीट पर कब कौन जीता
1951 : प्रजापति मिश्र, कांग्रेस
1952 : केतकी देवी, कांग्रेस
1957 : जय नारायण प्रसाद, कांग्रेस
1957 : जगन्नाथ प्रसाद स्वतंत्र, कांग्रेस
1962 : जय नारायण प्रसाद, कांग्रेस
1967 : एचपी सहाय, कांग्रेस
1969 : गौरीशंकर पांडेय, कांग्रेस
1972 : कृष्ण मोहन पांडेय, कांग्रेस
1977 : गौरीशंकर पांडेय, कांग्रेस
1980 : गौरीशंकर पांडेय, कांग्रेस
1985 : गौरीशंकर पांडेय, कांग्रेस
1990 : मदन प्रसाद जायसवाल, भाजपा
1995 : बीरबल यादव, जनता दल
2000 : रेणु देवी, भाजपा
2005 (फरवरी) : रेणु देवी, भाजपा
2005 (अक्टूबर) : रेणु देवी, भाजपा
2010 : रेणु देवी, भाजपा
2015 : मदन मोहन तिवारी, कांग्रेस
2020 : रेणु देवी, भाजपा