पटना
कभी अपनी खराब सड़कों के लिए बिहार देशभर में चर्चा में रहता था, लेकिन आज ग्रामीण कनेक्टिविटी में देश में अव्वल हो गया है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार ने सड़क निर्माण में क्रांति ला दी है. दरअसल , जबसे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार का नेतृत्व संभाला है तबसे उनकी सरकार ने बिहार की सड़कों पर विशेष ध्यान देना शुरू किया था. तब से लेकर अब तक बिहार की सड़कों में बड़ा बदलाव हो गया है. नीतीश सरकार के नेतृत्व में सड़क निर्माण को लेकर किए गए प्रयास अब रंग ला रहे हैं. नाबार्ड के सहयोग से हजारों सड़कें और पुल बनकर तैयार हो चुके हैं, जिससे गांव अब सीधे शहरों से जुड़ गए हैं.
यह बदलाव राज्य के आर्थिक, सामाजिक और शैक्षिक विकास में भी अहम भूमिका निभा रहा है. आज उसी का परिणाम है कि राज्य की सड़कें अब विकास की मजबूत धुरी बन चुकी हैं. यह बदलाव न केवल आवागमन को आसान बना रहा है, बल्कि रोजगार और सामाजिक विकास को भी बढ़ावा दे रहा है. पिछले दो दशकों में राज्य में सड़कों की लंबाई दोगुनी हो गई है. वर्ष 2005 में जहां महज 14,468 किलोमीटर सड़कें थीं, वहीं 2025 तक यह बढ़कर 26,000 किलोमीटर से अधिक हो चुकी है.
राष्ट्रीय और जिला मार्गों में लंबी छलांग
नीतीश सरकार में राष्ट्रीय मार्गो और और जिला मार्गों में भी बिहार के लंबी छलांग लगाई है.जानकारी के मुताबिक, 2005 तक राज्य में राष्ट्रीय उच्च पथों की कुल लंबाई 3,629 किलोमीटर थी जो अब बढ़कर 6,147 किलोमीटर हो गई है. इसी तरह ग्रामीण पथों की लंबाई 8,457 किलोमीटर से दोगुनी होकर 16,296 किलोमीटर तक पहुंच चुकी है. पहले जहां अधिकांश सड़कें सिंगल लेन तक सीमित थीं, वहीं अब दो, चार और छह लेन की सड़कों का जाल बिछ चुका है.
सड़कों ने बदली बिहार की तस्वीर
बिहार के ग्रामीण कार्य अशोक चौधरी कहते हैं कि नीतीश कुमार का विजन था की बिहार का समावेशी विकास हो और उन्होंने हर क्षेत्र में विकास किया है. लेकिन किसी भी राज्य के विकास में सड़कों का महत्वपूर्ण हाथ होता है और इसी को देखते हुए नीतीश कुमार ने बिहार में सड़को का जाल बिछ गया है. जाहिर है अगर बेहतर सड़के होंगी तो राज्य का विकास भी तेज गति से होगा. नीतीश सरकार का लक्ष्य है कि 2025 के अंत तक बिहार के किसी भी कोने से पटना पहुंचने में पांच घंटे से ज्यादा न लगे.
ग्रामीण सड़कों ने खोले विकास के द्वार
अशोक चौधरी ने कहा कि ग्रामीण सड़कों ने बिहार के विकास के साथ-साथ रोजगार के नए अवसर भी खोले हैं. बिहार में ग्रामीण क्षेत्रों में भी सड़क क्रांति दिखाई दे रही है. नाबार्ड के सहयोग से 2025 तक स्वीकृत 2,025 सड़कों में से 1,859 का निर्माण पूरा हो चुका है. इनकी कुल लंबाई लगभग 4,822 किलोमीटर है. साथ ही 1,235 स्वीकृत पुलों में से 910 बनकर तैयार हो गए हैं. ये पुल और सड़कें ग्रामीण इलाकों को शहरों से जोड़ने में अहम भूमिका निभा रही हैं. ऐसे में यह ‘सड़क क्रांति’ बिहार के विकास को नई गति दे रही है.
आर्थिक और सामाजिक विकास की धुरी
जाहिर है ग्रामीण सड़के हो या राष्ट्रीय पथ बिहार के बनी सड़कों ने बिहार की तकदीर भी बदल दी है. बिहार की सड़कें केवल आवागमन का साधन नहीं, बल्कि आर्थिक और सामाजिक विकास की रीढ़ बन चुकी हैं. इनसे गांव सीधे शहरों से जुड़ गए हैं, बाजार, स्कूल और अस्पताल तक पहुंचना आसान हो गया है. ये सड़कें गांवों को शहरों से जोड़कर रोजगार और विकास को बढ़ावा दे रही हैं, जिससे बिहार की तकदीर और तस्वीर दोनों बदल रही है. यह उपलब्धि बिहार के लिए गर्व का पल है जो विकास की नई मिसाल बन रहा है.