मथुरा
मथुरा में यमुना नदी में आई बाढ़ का असर साफ दिखाई दे रहा है. विश्राम घाट भी इस बाढ़ की चपेट में है. यमुना के पानी ने पूरे घाट को अपनी आगोश में ले लिया. घाट के गुम्बद और पिलर पानी में डूब गए हैं. ये वही घाट है जहां भगवान कृष्ण ने कंस का वध करने के बाद विश्राम किया था. तब इसे विश्राम घाट के नाम से जाना जाता है. लोगों ने बताया कि बाढ़ के कारण हालत खराब है. हालांकि, श्रद्धालु अभी भी पूजा करने के लिए इस घाट पर आ रहे हैं.
विश्राम घाट की स्थिति
स्थानीय लोगों के अनुसार, यमुना का जलस्तर बढ़ने से मथुरा के हालात बिगड़ गए हैं. ऐतिहासिक विश्राम घाट पानी में समा गया है. घाट पर बने मंदिर और उनके पिलर भी पानी में डूबे हुए हैं. पानी घाट के गुम्बद के करीब पहुंच गया है. घाट के बीच से बहता पानी लोगों को बाढ़ की भयावहता दिखा रहा है.
आस्था और हिम्मत का संगम
बाढ़ की इस स्थिति के बावजूद, लोगों की आस्था और हिम्मत बरकरार है. श्रद्धालु घुटनों तक पानी में खड़े होकर भी पूजा-पाठ कर रहे हैं. इस दृश्य से पता चलता है कि बाढ़ भी श्रद्धालुओं की आस्था को डिगा नहीं पाई है. घाट पर मौजूद लोग इस गंभीर स्थिति में भी अपनी धार्मिक परंपराओं को निभा रहे हैं.
बाढ़ से ब्रज बेहाल
आपको बता दें कि ब्रज में कालिंदी रौद्र रूप दिखा रही हैं. ताजेवाला और ओखला से पाने छोड़े जाने के बाद मथुरा में यमुना का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है. नदी खतरे से 50 सेमी ऊपर बह रही है. दर्जनों गांव टापू बन गए हैं. प्रशासन लगातार राहत बचाव कार्य में लगा हुआ है. यमुना में डूबे हुए घर और मंदिर दूर से ही नजर आ रहे हैं.
गौरतलब है कि लगातार बढ़ रहे जलस्तर से कई कॉलोनियों और सैकड़ों घरों में यमुना के पानी प्रवेश कर जाने से स्थिति भयावह होती जा रही है. जयसिंहपुरा इलाके में एक नहीं सैकड़ों घरों में यमुना का पानी प्रवेश कर गया है और पूरा इलाका जलमग्न हो गया है. जिसके कारण लोग पलायन को मजबूर हैं. कई घरों में ताले पड़े हुए हैं. जिला प्रशासन बढ़ रहे जलस्तर को देखते हुए पूरी तरह सजग और सतर्क है.
बाढ़ ग्रस्त इलाकों से लोगों को रेस्क्यू कर स्टीमर और नावों के माध्यम से सुरक्षित स्थानों पर भेजा जा रहा है. मथुरा में यमुना के बढ़ते जलस्तर ने वृंदावन से लेकर गोकुल तक कोहराम मचा दिया है. प्रशासन 5 बाढ़ राहत केंद्रों की स्थापना करके लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा रहा है.