जबलपुर
भ्रष्टाचार और पद के दुरुपयोग के आरोपों के चलते सीबीआई ने बुधवार को जबलपुर ऑर्डिनेंस फैक्ट्री में बड़ी कार्रवाई की. इस दौरान टीम ने डीजीएम दीपक लांबा से गहन पूछताछ की. लांबा के खिलाफ पहले ही सीबीआई ने एफआईआर दर्ज कर रखी है. आरोप है कि उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए एक निजी कंपनी को लाभ पहुंचाने के लिए नियमों की अनदेखी की और इससे सरकारी खजाने को भारी नुकसान पहुंचा.
जानकारी के मुताबिक, लांबा के नागपुर ऑर्डिनेंस फैक्ट्री में पदस्थ रहते समय यह मामला सामने आया था.सीबीआई ने 25 अगस्त को दर्ज एफआईआर में नागपुर की कंपनी ऑटोमेशन इंजीनियरिंग एंड इंडस्ट्रियल सर्विसेज के मालिक मोहित ठोलिया और तत्कालीन डीजीएम दीपक लांबा पर भ्रष्टाचार और आपराधिक साजिश के आरोप लगाए हैं. जांच एजेंसी का कहना है कि दोनों की मिलीभगत से सरकारी ठेके में गंभीर अनियमितताएं की गईं, जिसके चलते लाखों रुपये का नुकसान हुआ.
सीबीआई मिले कई आपत्तिजनक दस्तावेज
सीबीआई की टीम ने इस प्रकरण की तह तक जाने के लिए जबलपुर और नागपुर समेत चार स्थानों पर छापेमारी की. इसमें आरोपितों के घर और दफ्तर शामिल थे. छापों के दौरान सीबीआई को कई आपत्तिजनक दस्तावेज और डिजिटल साक्ष्य मिले हैं. जांच अधिकारियों के अनुसार, ये दस्तावेज आरोपों को और मजबूत करते हैं तथा यह साबित करते हैं कि नियमों को दरकिनार कर निजी स्वार्थ साधे गए.
लांबा ने निजी कंपनी को दिलाया लाभ
शिकायत में यह भी उल्लेख है कि दीपक लांबा ने नागपुर की ऑर्डनेंस फैक्ट्री अंबाझरी (OFAJ) में उप महाप्रबंधक रहते हुए नियमों के विरुद्ध एक प्रोप्राइटरशिप फर्म की स्थापना की. बाद में इस फर्म को टेंडर दिलाने के लिए अपनी आधिकारिक स्थिति का गलत इस्तेमाल किया. सीबीआई का मानना है कि इस पूरे खेल में सरकारी खजाने को जानबूझकर नुकसान पहुंचाया गया और लाभ निजी कंपनी को दिलाया गया.
फिलहाल सीबीआई ने डीजीएम दीपक लांबा को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया है और उनसे भ्रष्टाचार की पूरी श्रृंखला को लेकर सवाल-जवाब हो रहे हैं. एजेंसी इस मामले में मिले दस्तावेजों का तकनीकी और वित्तीय विश्लेषण भी कर रही है. माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में जांच का दायरा और बढ़ेगा तथा अन्य अधिकारियों की भूमिका भी सामने आ सकती है.