By using this site, you agree to the Privacy Policy and Terms of Use.
Accept
SW24 NewsSW24 NewsSW24 News
  • देश
    • उत्तर प्रदेश
    • बिहार
    • राजस्थान
  • विदेश
  • छत्तीसगढ़
  • मध्य प्रदेश
  • राजनीति
  • व्यवसाय
  • लाइफस्टाइल
    • धर्म-अध्यात्म
    • नौकरी
    • करिअर
  • About Us
Search

Archives

  • September 2025
  • August 2025
  • July 2025
  • June 2025
  • May 2025
  • April 2025
  • March 2025
  • February 2025
  • January 2025

Categories

  • SOFTDOWNLOADS
  • Uncategorized
  • WINDOWS11
  • उत्तर प्रदेश
  • करिअर
  • छत्तीसगढ़
  • देश
  • धर्म-अध्यात्म
  • नौकरी
  • बिहार
  • मध्य प्रदेश
  • राजनीति
  • राजस्थान
  • लाइफस्टाइल
  • विदेश
  • व्यवसाय
  • Advertise
© 2025 SW24 NEWS Private Limited . All Rights Reserved.
Reading: ऐसे थे योगी के गुरुदेव ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ
Share
Sign In
Notification Show More
Font ResizerAa
SW24 NewsSW24 News
  • देश
  • विदेश
  • छत्तीसगढ़
  • मध्य प्रदेश
  • राजनीति
  • व्यवसाय
  • लाइफस्टाइल
  • About Us
Search
  • देश
    • उत्तर प्रदेश
    • बिहार
    • राजस्थान
  • विदेश
  • छत्तीसगढ़
  • मध्य प्रदेश
  • राजनीति
  • व्यवसाय
  • लाइफस्टाइल
    • धर्म-अध्यात्म
    • नौकरी
    • करिअर
  • About Us
Have an existing account? Sign In
Follow US
  • Advertise
© 2022 Foxiz News Network. Ruby Design Company. All Rights Reserved.
उत्तर प्रदेशदेश

ऐसे थे योगी के गुरुदेव ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ

Editor
Last updated: September 3, 2025 10:46 am
Editor
Share
12 Min Read
SHARE
ऐसे थे योगी के गुरुदेव ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ
👁️ 113 Views
WhatsApp Share on WhatsApp

ऐसे थे योगी के गुरुदेव ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ

लखनऊ। अस्पृश्यता के उस दौर में अगर किसी प्रमुख संप्रदाय का संत, अपने संप्रदाय का समाज का अगुआ और उत्तर भारत की प्रमुख पीठ का पीठाधीश्वर अपने ही समाज के तमाम लोगों के विरोध के बावजूद किसी चांडाल (डोम) के घर भोजन करता है तो उससे पवित्र कोई हो ही नहीं सकता। बात हो रही है गोरखपुर स्थित नाथपंथ का हेडक्वार्टर मानी जाने वाली गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गुरु ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ की।

फरवरी 1981 में तमिलनाडु के मीनाक्षीपुरम जिले के तिरुनेलवेली में सामूहिक धर्मांतरण की एक घटना हुई थी। अवेद्यनाथ इस घटना से बेहद आहत थे। दक्षिण भारत की तरह इसका विस्तार उत्तर भारत में न हो, इसके लिए उन्होंने काशी के डोमराजा के घर संत समाज के साथ भोजन किया था। मकसद था बहुसंख्यक समाज के दलित तबके को सामाजिक समरसता का संदेश देना। फिर तो यही उनके जीवन का मिशन बन गया। बिना किसी भेदभाव के सामूहिक भोज का जो सिलसिला उन्होंने शुरू किया वह अब भी उनके शिष्य योगी आदित्यनाथ की अगुआई में जारी है। 

ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ मूलतः संत थे। वे सबके थे और सबको स्वीकार्य भी थे।  मीनाक्षीपुरम की घटना ही उनके सक्रिय राजनीति में आने की वजह बनी। सितंबर में उनकी पुण्यतिथि पड़ती है इसीलिए हर सितंबर गोरक्षपीठ के लिए खास होता है। सितंबर में ही ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ के गुरु और योगी आदित्यनाथ के दादा गुरु ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ की पड़ने वाली पुण्य तिथि इसे और खास बना देती है। इस अवसर पर गोरखनाथ मंदिर में साप्ताहिक पुण्यतिथि समारोह का आयोजन होता है। इस साल ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ की 56वीं और राष्ट्रसंत महंत अवेद्यनाथ की 11वीं पुण्यतिथि है। इसके उपलक्ष्य में आयोजनों का सिलसिला 4 से 11 सितंबर तक चलेगा। श्रद्धांजलि समारोह के उद्घाटन और समापन के अवसर पर मुख्यमंत्री एवं गोरक्ष पीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ विशेष रूप से मौजूद रहेंगे। यह आयोजन खुद में भारतीय परंपरा के गुरु और शिष्य के बेमिसाल रिश्ते की मिसाल भी है।

उनका ब्रह्मलीन होना एक संत की इच्छा मृत्यु थी
ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ का ब्रह्मलीन होना एक सामान्य घटना नहीं थी। पूरे संदर्भ को देखें तो यह एक संत की इच्छा मृत्यु जैसी थी। अपने गुरुदेव के ब्रह्मलीन होने के बाद एक कार्यक्रम में योगी आदित्यनाथ ने इसकी चर्चा भी की थी। योगी के मुताबिक, मेरे गुरुदेव की इच्छा अपने गुरुदेव ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ की पुण्यतिथि पर मंदिर में ही ब्रह्मलीन होने की थी। और हुआ भी यही।
उल्लेखनीय है कि गोरखनाथ मंदिर में करीब छह दशक से हर साल सितंबर में ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ की पुण्यतिथि सप्ताह समारोह का आयोजन होता रहा है। 2014 में इसी कार्यक्रम के समापन समारोह के बाद उसी दिन फ्लाइट से योगी आदित्यनाथ शाम को दिल्ली और फिर गुड़गांव स्थित मेदांता में इलाज के लिए भर्ती अपने गुरुदेव अवेद्यनाथ का हाल चाल लेने गए। वहां उनके कान में पुण्यतिथि के कार्यक्रम के समापन के बाबत जानकारी दी। वह कुछ देर वहां रहे। चिकित्सकों से बात किए। सेहत रोज जैसी ही स्थिर थी। लिहाजा योगी अपने दिल्ली स्थित सांसद के रूप में मिले सरकारी आवास पर लौट आए। रात करीब 10 बजे उनके पास मेदांता से फोन आया कि उनके गुरुदेव की सेहत बिगड़ गई है। पहुंचे तो देखा, वेंटीलेटर में जीवन का कोई लक्षण नहीं हैं। चिकित्सकों के कहने के बावजूद वे मानने को तैयार नहीं थे। वहीं महामृत्युंजय का जाप शुरू किया। करीब आधे घंटे बाद वेंटीलेटर पर जीवन के लक्षण लौट आए। योगी को अहसास हो गया कि गुरुदेव की विदाई का समय आ गया है। उन्होंने धीरे से उनके कान में कहा, कल आपको गोरखपुर ले चलूंगा। यह सुनकर उनकी आंखों के कोर पर आंसू ढलक आए। योगीजी ने उसे साफ किया और लाने की तैयारी में लग गए। दूसरे दिन एयर एंबुलेंस से गोरखपुर लाने के बाद  उनके कान में कहा, आप मंदिर में आ चुके हैं। बड़े महाराज के चेहरे पर तसल्ली का भाव आया। इसके करीब घंटे भर के भीतर उनका शरीर शांत हो गया।

बड़े महाराज का अंतिम 10 वर्ष का जीवन चमत्कार था
 विज्ञान के इस युग में संभव है आप यकीन न करें। पर बात मुकम्मल सच है। 10 साल पहले (12 सितंबर 2014 ) गोरक्षपीठ के महंत अवेद्यनाथ का ब्रह्मलीन होना सामान्य नहीं, बल्कि इच्छा मृत्यु जैसी घटना थी।
चिकित्सकों के मुताबिक उनकी मौत तो 2001 में तभी हो जानी चाहिए थी, जब वे पैंक्रियाज के कैंसर से पीड़ित थे। उम्र और ऑपरेशन के बाद ऐसे मामलों में लोगों के बचने की संभावना सिर्फ 5 फीसद होती है। इसी का हवाला देकर उस समय दिल्ली के एक नामी डाक्टर ने ऑपरेशन करने से मना कर दिया था। बाद में ऑपरेशन के लिए तैयार हुए तो यह भी कहा कि ऑपरेशन सफल रहा तो भी बची जिंदगी मुश्किल से 3 वर्ष की होगी। पर बड़े महाराजजी उसके बाद 14 वर्ष तक जीवित रहे। ऑपरेशन करने वाले डॉक्टर अक्सर पीठ के उत्तराधिकारी (अब पीठाधीश्वर और मुख्यमंत्री) योगी आदित्यनाथ से फोन पर बड़े महाराज का हाल-चाल पूछते थे। यह बताने पर कि उनका स्वास्थ्य बेहतर है, हैरत भी जताते थे। बकौल योगी, यह गुरुदेव के योग का ही चमत्कार था।

राम मंदिर आंदोलन के प्राण थे ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ
महंत अवेद्यनाथ सितंबर 12, 2014 में ब्रह्मलीन हुए। तब अपने शोक संदेश में राम मंदिर आंदोलन के शिखरतम लोगों में शुमार विश्व हिन्दू परिषद के संरक्षक स्वर्गीय अशोक सिंघल ने कहा था, "वह श्री रामजन्म भूमि के प्राण थे। सबको साथ लेकर चलने की उनमें विलक्षण प्रतिभा थी। उसीके परिणाम स्वरूप श्रीराम जन्मभूमि आन्दोलन के साथ सभी संप्रदायों, दार्शनिक परम्पराओं के संत जुड़ते चले गए।" इससे साबित होता है कि उनका कद और संत समाज में उनकी स्वीकार्यता क्या थी। वाकई वह राम मंदिर आंदोलन के प्राण थे। राम मंदिर उनके प्राणों में बसता था। अयोध्या में रामलला की जन्म भूमि पर भव्य राम मंदिर बने यह उनका सपना था। ऐसा सपना जो उनके दिलो दिमाग पर ताउम्र अमिट रूप से चस्पा हो गया था। वह चाह रहे थे कि उनके जीते जी वहां भव्य राम मंदिर बन जाए। पर दैव की मर्जी के आगे किसकी चलती? गीता में भगवान कृष्ण ने कहा है की आत्मा अजर अमर होती है। यकीनन बड़े महाराज की आत्मा अयोध्या में अपने सपनों का राम मंदिर बनते देख बेहद खुश होगी।  

वह राम मंदिर आंदोलन के शीर्ष नेताओं में शुमार थे
महंत अवेद्यनाथ 1984 में शुरु रामजन्म भूमि मुक्ति यज्ञ समिति के शीर्षस्थ नेताओं में शुमार श्री रामजन्म भूमि यज्ञ समिति के अध्यक्ष व रामजन्म भूमि न्यास समिति के आजीवन सदस्य  रहे। योग व दर्शन के मर्मज्ञ महंतजी के  राजनीति में आने का मकसद हिंदू समाज की कुरीतियों को दूर करना और राम मंदिर आंदोलन को गति देना रहा है।

 प्रारंभिक जीवन
महंत अवेद्यनाथ का जन्म  मई 1921 को गढ़वाल (उत्तरांचल) जिले के कांडी गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम राय सिंह विष्ट था। अपने पिता के वे इकलौते पुत्र थे। उनके बचपन का नाम कृपाल सिंह विष्ट था। नाथ परंपरा में दीक्षित होने के बाद वे अवेद्यनाथ हो गए।

जिसे सबका नाथ बनाना होता, उसे भगवान अनाथ बना देता
कहा जाता है कि, ईश्वर जिसको सबका नाथ बनाना चाहता है, परीक्षा के लिए उसे बचपन में अनाथ बना देता है। कृपाल सिंह के साथ भी यही हुआ। बचपन में माता-पिता का निधन हो गया। कुछ बड़े हुए तो पाल्य दादी नहीं रहीं। इसके बाद उनका मन विरक्त हो गया। ऋषिकेश में सन्यासियों के सत्संग से हिंदू धर्म, दर्शन, संस्कृत और संस्कृति के प्रति रुचि जगी तो शांति की तलाश में केदारनाथ, ब्रदीनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री और कैलाश मानसरोवर की यात्रा की। वापसी में हैजा होने पर साथी उनको मृत समझ आगे बढ़ गए। ठीक हुए तो मन और विरक्त हो उठा। इसके बाद नाथ पंथ के जानकार योगी निवृत्तिनाथ, अक्षयकुमार बनर्जी और गोरक्षपीठ के सिद्ध महंत रहे गंभीरनाथ के शिष्य योगी शांतिनाथ से भेंट (1940) हुई। निवृत्तनाथ द्वारा ही उनकी मुलाकात तबके गोरक्ष पीठाधीश्वर महंत दिग्विजयनाथ से हुई। पहली मुलाकात में में उन्होंने शिष्य बनने के प्रति अनिच्छा जताई। कुछ दिन करांची में एक सेठ के यहां रहे। सेठ की उपेक्षा के बाद शांतिनाथ की सलाह पर वह गोरखपुर स्थित गोरक्षपीठ में आकर नाथपंथ में दीक्षित हुए। महंत अवेद्यनाथ ने वाराणसी व हरिद्वार में संस्कृत का अध्ययन किया है। महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद से जुड़ी शैक्षणिक संस्थाओं के अध्यक्ष व मासिक पत्रिका योगवाणी के संपादक भी रहे।

चार बार सांसद एवं पांच बार रहे विधायक
उन्होंने चार बार (1969, 19 89, 1091 और  1996) गोरखपुर सदर संसदीय सीट से यहां के लोगों का प्रतिनिधित्व किया। अंतिम लोकसभा चुनाव को छोड़ उन्होंने सभी चुनाव हिंदू महासभा के बैनर तले लड़ा। लोकसभा के अलावा उन्होंने पांच बार (1962, 1967, 1969,1974 और 1977) में मानीराम विधानसभा का भी प्रतिनिधित्व किया था। अपने समय में उन्होंने अपने गुरु ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए पीठ के शैक्षिक और सांस्कृतिक परंपरा को समृद्ध किया। उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य और लोककल्याण को सर्वोपरि माना। उनकी धार्मिक चेतना का पूर्वांचल, खासकर गोरखपुर के लोगों के दिलो दिमाग पर गहरा असर है। एक तरीके से यह गोरखपुर की अध्यक्षीय पीठ है। इसका हर निर्णय यहां के लोगों को सर्वमान्य होता है। गोरखनाथ मंदिर की वर्तमान भव्यता, शानदार वास्तुशिल्प उनकी ही देन है। गोरक्षपीठ के  वर्तमान पीठाधीश्वर एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस स्वरूप को और निखारा है।

पुण्यतिथि पर विशेष

TAGGED: yogi

Sign Up For Daily Newsletter

Be keep up! Get the latest breaking news delivered straight to your inbox.
[mc4wp_form]
By signing up, you agree to our Terms of Use and acknowledge the data practices in our Privacy Policy. You may unsubscribe at any time.
Share This Article
Facebook Twitter Copy Link Print
Share
What do you think?
Sad0
Happy0
Sleepy0
Angry0
Dead0
Wink0
Previous Article 18 सितंबर से शुरू होगा ‘गांव चलो अभियान’, लंबित राजस्व मामलों का निपटारा करेंगे अधिकारी
Next Article नागरिक आपूर्ति निगम के कर्मचारियों को भी मिलेगा चतुर्थ समयमान वेतन
Leave a comment Leave a comment

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Stay Connected

235.3kFollowersLike
69.1kFollowersFollow
11.6kFollowersPin
56.4kFollowersFollow
136kSubscribersSubscribe
4.4kFollowersFollow

Latest News

जेमिनी Nano Banana के कमाल: ये Prompts डालकर बनाएं अपनी शानदार तस्‍वीरें
लाइफस्टाइल September 16, 2025
पं. धीरेंद्र शास्त्री रायपुर में करेंगे हनुमंत कथा
छत्तीसगढ़ देश September 16, 2025
देहरादून में तबाही: सहस्त्रधारा से फन वैली तक बारिश और बादल फटने का कहर, PM मोदी-शाह ने ली अपडेट
देश September 16, 2025
चीन की नई AI तकनीक: समंदर में छुपी पनडुब्बियों का पता लगाना अब आसान
विदेश September 16, 2025

Recent Posts

  • जेमिनी Nano Banana के कमाल: ये Prompts डालकर बनाएं अपनी शानदार तस्‍वीरें
  • पं. धीरेंद्र शास्त्री रायपुर में करेंगे हनुमंत कथा
  • देहरादून में तबाही: सहस्त्रधारा से फन वैली तक बारिश और बादल फटने का कहर, PM मोदी-शाह ने ली अपडेट
  • चीन की नई AI तकनीक: समंदर में छुपी पनडुब्बियों का पता लगाना अब आसान
  • Google का Gemini बना टॉप ऐप, ChatGPT पीछे रह गया!

Recent Comments

No comments to show.

Top Categories

  • Advertise with us
  • Newsletters
  • Deal
SW24 NewsSW24 News
Follow US
© 2025 SW24 NEWS Private Limited . All Rights Reserved.
adbanner
AdBlock Detected
Our site is an advertising supported site. Please whitelist to support our site.
Okay, I'll Whitelist
Welcome Back!

Sign in to your account

Lost your password?