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इंडस्ट्री–एकेडमिया समन्वय से भारत बनेगा तकनीक और विकास का केंद्र : मुख्यमंत्री योगी

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Last updated: September 3, 2025 2:45 pm
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इंडस्ट्री–एकेडमिया समन्वय से भारत बनेगा तकनीक और विकास का केंद्र : मुख्यमंत्री योगी
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इंडस्ट्री–एकेडमिया समन्वय से भारत बनेगा तकनीक और विकास का केंद्र : मुख्यमंत्री

आईआईटी कानपुर के 'समन्वय' से उद्योग-अकादमिक जुड़ाव कार्यक्रम में सम्मिलित हुए सीएम योगी 

एआई, साइबर सिक्योरिटी और सस्टेनेबल डेवलपमेंट पर मंथन से यूपी और प्रदेश को मिलेगी नई दिशाः मुख्यमंत्री 

पिछले 11 वर्षों में हमने भारत को बदलते देखा, यह यात्रा विकसित और आत्मनिर्भर भारत की दिशा के अनुकूलः सीएम

आज भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और अगले दो वर्षों में तीसरी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर: मुख्यमंत्री

हर अक्षर, वनस्पति और मनुष्य में कुछ बनने की क्षमता, आईआईटी जैसे संस्थान इन्हें जोड़ने का काम कर रहेः योगी 

कानपुर
 मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बुधवार को आईआईटी कानपुर के 'समन्वय' से उद्योग-अकादमिक जुड़ाव कार्यक्रम में सम्मिलित हुए। इस दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि आज इंडस्ट्री और अकादमिक संस्थानों के सहयोग का मुद्दा केवल शोध और नवाचार तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सीधे-सीधे आम नागरिक के जीवन स्तर, वैश्विक चुनौतियों और सतत विकास से जुड़ा हुआ है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, साइबर सिक्योरिटी और सस्टेनेबिलिटी जैसे विषयों पर मंथन भारत को न केवल आत्मनिर्भर और विकसित राष्ट्र बनाएगा, बल्कि तकनीक और विकास का वैश्विक केंद्र स्थापित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

इंडस्ट्री–एकेडमिया सहयोग से वैश्विक चुनौतियों का समाधान
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज हम जिस विषय पर एकत्र हुए हैं, वह केवल इंडस्ट्री–एकेडमिया सहयोग का 'समन्वय' ही नहीं है, बल्कि पूरी दुनिया के सामने खड़ी चुनौतियों से जुड़ा हुआ है। ये चुनौतियां सीधे-सीधे आम नागरिक के जीवन स्तर को प्रभावित करती हैं। इसीलिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, साइबर सिक्योरिटी और सतत विकास (सस्टेनेबिलिटी) जैसे तीन महत्त्वपूर्ण स्तंभों पर तकनीकी सत्र होंगे और चर्चा होगी। कभी 17वीं शताब्दी तक भारत विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था था। वैश्विक जीडीपी में हमारा योगदान 25 प्रतिशत तक था। लेकिन 150-200 वर्षों में ऐसा क्या कुछ हुआ कि यह लगातार गिरता गया और 1947 तक आते-आते भारत का योगदान केवल 2 प्रतिशत रह गया। सीएम योगी ने कहा कि पिछले 11 वर्षों में हमने भारत को बदलते हुए देखा है। आज भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और अगले दो वर्षों में तीसरी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है। आगे चलकर हमें दूसरी अर्थव्यवस्था बनने का अवसर भी मिलेगा। यह यात्रा केवल आर्थिक विकास की नहीं है, बल्कि विकसित भारत और आत्मनिर्भर भारत की दिशा में है। 

हर अक्षर, हर वनस्पति और हर मनुष्य में कुछ बनने की क्षमता 
आईआईटी कानपुर का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि आईआईटी कानपुर का गौरवशाली इतिहास है। पिछले छह दशकों में इस संस्थान ने देश को तकनीक की दिशा में बहुत कुछ दिया है। हाल ही में मैंने नोएडा में ड्रोन टेक्नोलॉजी केंद्र का दौरा किया। वहां आईआईटी कानपुर से जुड़े लोग भी मिले। मैंने देखा कि हमारे युवा नई सामरिक चुनौतियों का सामना करने के लिए कैसे तैयार हो रहे हैं। आईआईटी कानपुर भी उसमें अपना योगदान दे रहा है। हमें हमेशा यह विश्वास रखना चाहिए कि हम कर सकते हैं। दुनिया का सबसे प्राचीन विश्वविद्यालय तक्षशिला भी भारत में था। वहीं से चरक और सुश्रुत जैसे आयुर्वेदाचार्य निकले। यही हमारी परंपरा है कि हर अक्षर, हर वनस्पति और हर मनुष्य में कुछ बनने की क्षमता होती है। बस एक जोड़ने वाले की आवश्यकता होती है। मुझे विश्वास है कि आईआईटी जैसे संस्थान वही जोड़ने का काम कर रहे हैं।

हर क्षेत्र में यूपी ने स्थापित किए नए मानक 
उन्होंने कहा कि 1947 में उत्तर प्रदेश का योगदान राष्ट्रीय जीडीपी में 14 प्रतिशत तक था। लेकिन 2017 तक यह घटकर केवल 7-8 प्रतिशत रह गया। निराशा का माहौल था, उद्योग निवेश नहीं करना चाहते थे, युवा पलायन कर रहे थे। कभी समृद्ध रहा प्रदेश बीमारू कहलाने लगा। पिछले आठ वर्षों में उत्तर प्रदेश की तस्वीर बदली है। आज प्रदेश, देश की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। बेहतर सुरक्षा, निवेश, बुनियादी ढांचा और सुशासन के साथ यूपी ने नए मानक स्थापित किए हैं। हर क्षेत्र में परिवर्तन दिखाई दे रहा है। सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स के क्षेत्र में भी उत्तर प्रदेश ने नेतृत्व किया है। प्रदेश की विधान सभा देश की पहली विधान सभा है, जिसने लगातार 36 घंटे चर्चा कर यह तय किया कि कैसे सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स पूरे किए जा सकते हैं। आज शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, जल प्रबंधन हर क्षेत्र में ठोस काम हो रहा है। मुख्यमंत्री ने बुंदेलखंड का उदाहरण देते हुए कहा कि कभी यह इलाका सूखे, पलायन और डकैतों की समस्या से जूझता था। आज यहां हर घर नल से जल पहुंच रहा है, खेतों तक सिंचाई हो रही है और डिफेंस कॉरिडोर के दो महत्वपूर्ण नोड (चित्रकूट और झांसी) में निवेश आ रहा है। पहले जहां किसान सालाना ₹5000 कमाता था, आज वही किसान ₹50,000 तक कमा रहा है। 

साइबर सिक्योरिटी के क्षेत्र में अभी बहुत कुछ करना बाकी 
मुख्यमंत्री ने कहा कि पर्यावरण की दिशा में भी प्रदेश ने मिसाल कायम की है। पिछले आठ वर्षों में 240 करोड़ पौधरोपण कर एक नया रिकॉर्ड बनाया गया है। फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टिट्यूट भी मान चुका है कि उत्तर प्रदेश में वन क्षेत्र बढ़ा है। यही सतत विकास की ओर हमारे प्रयासों का प्रमाण है। मुख्यमंत्री ने कहा कि साइबर सुरक्षा आज की सबसे बड़ी चुनौती है। 2017 में केवल दो साइबर थाने थे, वह भी सक्रिय नहीं थे। आज प्रदेश के 75 जिलों में साइबर थाने हैं, 1500 से अधिक थानों में साइबर डेस्क है और राज्य साइबर एवं फॉरेंसिक संस्थान की स्थापना भी हो चुकी है। लेकिन अभी और बहुत कुछ करना बाकी है। इसी दिशा में हम आईआईटी कानपुर के साथ मिलकर कार्य करना चाहते हैं। मेरा मानना है कि भारत का पहला डीप-टेक भारत 2025 मॉडल तैयार करने में आईआईटी कानपुर इसका केंद्र बने। गौतमबुद्धनगर में हमने इसके लिए कुछ भूमि भी अलॉट की है। 

समन्वय से आगे बढ़ें तो भारत फिर से अपना गौरव हासिल कर सकता है 
मुख्यमंत्री ने कहा कि उद्योग जगत से भी मेरा आग्रह है कि केवल लाभ कमाने की मानसिकता से आगे न बढ़ें। लाभ का एक बड़ा हिस्सा नवाचार और अनुसंधान में लगाएं। आईआईटी कानपुर इस दिशा में एक मॉडल स्टडी बन सकता है जो इंस्टीट्यूशन को इस बारे में अवगत करा सके। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने 2017 से पहले देखा कि हमारी अकादमिक संस्थाएं कहीं-कहीं टॉपू की तरह हो गई थीं। माहौल न मिलने के कारण उनका आपसी संवाद और समन्वय न के बराबर था। यह पेंडुलम बनकर झूलते रहते थे। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में हमने इन्हें जोड़ा है। कोविड के दौरान आईआईटी कानपुर का सहयोग हमारे लिए बहुत महत्त्वपूर्ण रहा। आज डिफेंस कॉरिडोर और मेड-टेक सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में भी आईआईटी कानपुर की बड़ी भूमिका है। मुख्यमंत्री बोले कि मनुष्य की चेतना के तीन स्तर होते हैं—चेतन मन मॉडल स्टडी का माध्यम बन सकता है। अवचेतन मन इनोवेशन का माध्यम बन सकता है और गहन चेतन आरएंडडी का बहुत बड़ा थिंक टैंक बन सकता है। अगर हम इन्हें समन्वय से आगे बढ़ाएं तो भारत फिर से वही स्थान प्राप्त कर सकता है, जो कभी था। मुझे पूरा विश्वास है कि यहां से होने वाला यह मंथन एक ठोस निष्कर्ष तक पहुंचेगा और भारत तथा उत्तर प्रदेश को नई दिशा देगा।

इस अवसर पर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री राकेश सचान,आईआईटी कानपुर के डायरेक्टर प्रो. मणींद्र अग्रवाल, चीफ टेक्नोलॉजी अफसर टीसीएस डॉ. हैरी क्वीन, डिप्टी डायरेक्टर आईआईटी कानपुर प्रो. ब्रजभूषण मौजूद रहे। 

आईआईटी कानपुर से भारत के पहले राष्ट्रीय डीपटेक सम्मेलन का आगाज़, यूपी बनेगा डीपटेक हब
कानपुर। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मौजूदगी में भारत के पहले राष्ट्रीय डीपटेक सम्मेलन (डीपटेक भार 2025) का भव्य शुभारंभ आईआईटी कानपुर से हुआ। इस दौरान आईआईटी कानपुर के डायरेक्टर  प्रो. मणींद्र अग्रवाल ने मुख्यमंत्री को डीप-टेक लैब की स्थापना के संबंध में प्रस्तुतिकरण के जरिए जानकारी दी। मालूम हो कि यह ऐतिहासिक आयोजन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई), सेमीकंडक्टर, क्वांटम टेक्नोलॉजी, स्पेस टेक और बायोसाइंसेज जैसे अत्याधुनिक क्षेत्रों पर केंद्रित है। सम्मेलन का उद्देश्य भारत को डीपटेक शक्ति के रूप में स्थापित करना और उत्तर प्रदेश को देश का पहला डीपटेक-रेडी राज्य बनाने की दिशा में ठोस कदम बढ़ाना है। यह पहल प्रदेश को 1 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था बनाने के लक्ष्य में भी सहयोग करेगी। साथ ही डीपटेक इकोसिस्टम का लाभ अब केवल महानगरों तक सीमित न रहकर टियर-2 और टियर-3 शहरों तथा वहां के युवाओं और स्टार्टअप्स तक पहुंचेगा। इससे छोटे शहरों के नवाचार सीधे राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर से जुड़ सकेंगे। सम्मेलन में डीपटेक पॉलिसी 2035, देश का पहला डीपटेक एक्सेलेरेटर और भारत का पहला एआई को-पायलट लॉन्च किया गया। इन पहलों से नवाचार को नई दिशा मिलेगी और भारत वैश्विक तकनीकी प्रतिस्पर्धा में अपनी मजबूत भूमिका दर्ज करेगा। यह सम्मेलन वैश्विक सहयोग और निवेश का भी बड़ा मंच बनेगा। इसमें डीआरडीओ, इसरो, एमईआईटीवाई, डीएसी सहित 200 से अधिक वेंचर कैपिटल फर्मों और उद्योग जगत के लीडर्स ने भाग लिया। उम्मीद है कि इन रणनीतिक बैठकों से न केवल उत्तर प्रदेश बल्कि पूरे देश में हाई-टेक निवेश और बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन को बढ़ावा मिलेगा।

 

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