रतलाम
रतलाम में मुख्यमंत्री के प्रोटोकॉल से जुड़ी गाड़ियों में मिलावटी डीजल भरने का मामला अब जांच रिपोर्ट से स्पष्ट हो गया है। 27 जून को एमपी राइज 2025 कार्यक्रम के दौरान सीएम के प्रोटोकॉल में शामिल 19 इनोवा कारें डोसीगांव स्थित भारत पेट्रोलियम के मेसर्स से रिफ्लिंग कराई गई थी।
रतलाम जिला प्रशासन ने तत्काल कार्रवाई करते हुए पेट्रोल पंप को सील कर तीन डीजल सैंपल लिए, जिन्हें BPCL लैब मांगलिया भेजा गया। अब आई जांच रिपोर्ट में डीजल में पानी की मिलावट की पुष्टि हुई है। पंप संचालक शक्ति बुंदेल और पंप मैनेजर अमरजीत डाबर के खिलाफ आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है। जांच में पाया गया कि पंप के डीजल टैंक में 197.43 लीटर पानी मौजूद था, और स्टॉक में 720 लीटर का अंतर मिला। घटना के बाद से पेट्रोल पंप अब तक बंद है और आगे की कार्रवाई पुलिस के हाथों में है।
बता दें कि 26, जून की रात सीएम के काफिले में शामिल होने के लिए प्राइवेट गाड़ियां इंदौर से रतलाम आई थीं। डोसीगांव में स्थित भारत पेट्रोलियम के मेसर्स शक्ति फ्यूल्स पाईंट पर 19 इनोवा कारों में एक साथ डीजल भराया। डीजल भराने के बाद कारे कुछ दूरी तक ही चली और बंद हो गई। इन सभी को धक्का मारकर पेट्रोल पंप पर लाकर खड़ा किया था। जब प्रशासन को इस बारे में जानकारी लगी तो हड़कंप मच गया। अधिकारी पेट्रोल पंप पहुंचे। गाड़ियों के टैंक खुलवाकर डीजल खाली कराया तो उसमें डीजल के साथ पानी निकला। मामला सीएम से जुड़ा होने के कारण उसी रात पेट्रोल पंप को सील कर दिया। रात में ही प्रशासन ने इंदौर से अन्य गाड़ियों का इंतजाम किया। दूसरी गाड़िया इंदौर से रतलाम पहुंची।
27 जून को 3 सैंपल जांच के लिए भेजे, रिपोर्ट आई
मामला सामने आने के बाद 27 जून को जिला आपूर्ति विभाग ने डीजल के 3 सैंपल लेकर भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) के मांगलिया लेब में टेस्ट के लिए भेजे गए। करीब एक पखवाड़ा बाद लेब से टेस्ट रिपोर्ट मिल गई है। जिला आपूर्ति विभाग ने आगे की कार्रवाई को लेकर थाना औद्योगिक क्षेत्र को जांच रिपोर्ट सौंप दी है।
जिला आपूर्ति अधिकारी आनंद गोले की रिपोर्ट पर 27 जून को थाना औद्योगिक क्षेत्र ने पेट्रोल पंप संचालक शक्ति बुंदेल पति हेमराज बुंदेल और पंप मैनेजर अमरजीत पिता बल्लू डाबर के खिलाफ आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 की धारा 3/7 के तहत केस दर्ज किया था। दर्ज रिपोर्ट के अनुसार जांच में पाया कि पंप संचालक ने लापरवाही बरतते हुए वाहनों में अपमिश्रित डीजल भरा गया, जो कि उन्हें नहीं करना चाहिए था। तब से लेकर आज तक पेट्रोल पंप बंद है। पेट्रोल पंप संचालक जनसुनवाई में कलेक्टर के पास भी पहुंचे थे, ताकि पेट्रोल पंप को चालू कराया जा सके।
जिला आपूर्ति अधिकारी ने टाली जवाबदेही
जांच रिपोर्ट के संबंध में जब दैनिक भास्कर ने जिला आपूर्ति अधिकारी आनंद गोले से जानकारी मांगी, तो वे स्पष्ट जवाब देने से बचते नजर आए। उन्होंने शुरुआत में कहा कि रिपोर्ट सीधे पुलिस को भेज दी गई है। जब रिपोर्ट की विस्तृत जानकारी मांगी गई तो उन्होंने मामले को पुलिस की जांच से जोड़ते हुए कहा कि उनका काम केवल सैंपल लेकर जांच के लिए भेजना था।
विभागीय जिम्मेदारी की बात उठाने पर उन्होंने कैमरे के सामने आने से बचते हुए स्वीकार किया कि जांच में डीजल में पानी की मिलावट पाई गई है। लेकिन जब आगे की कार्रवाई के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने इसे पुलिस का मामला बताकर अपनी जिम्मेदारी से किनारा कर लिया।
विशेष रूप से चिंताजनक यह है कि मामला मुख्यमंत्री के काफिले से जुड़ा होने के बावजूद जिला आपूर्ति अधिकारी ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। यहां तक कि उन्होंने अपने वरिष्ठ अधिकारियों को भी जांच रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की।
प्रशासन का दावा: गाड़ियां सीएम काफिले की नहीं
मामले में ड्राइवरों और प्रशासन के बयानों में विरोधाभास सामने आया है। जहां ड्राइवरों ने गाड़ियां बंद होने पर बताया कि वे इंदौर से सीएम के काफिले में शामिल होने के लिए आए थे, वहीं जिला प्रशासन ने अगले दिन स्पष्ट किया कि ये केवल प्रोटोकॉल के लिए आई वीआईपी गाड़ियां थीं।
प्रशासन के अनुसार, इन गाड़ियों के लिए मेसर्स इम्पेक्ट ट्रेवल्स इंदौर अधिकृत एजेंसी है। एजेंसी को शर्तों के तहत अपडेटेड कंडीशन में गाड़ियां, डीजल और ड्राइवर सहित प्रोटोकॉल के लिए उपलब्ध करानी थीं। गाड़ियों में ईंधन भरवाने की जिम्मेदारी भी ट्रेवल एजेंसी की थी, न कि जिला प्रशासन की।
जानकारी के अनुसार, इम्पेक्ट ट्रेवल्स इंदौर ने इनोवा गाड़ियां रतलाम भेजीं और उन्हीं के द्वारा मेसर्स शक्ति फ्यूल्स पाइंट डोसीगांव रतलाम से डीजल भरवाया गया। प्रशासन ने स्पष्ट किया कि ये गाड़ियां मुख्यमंत्री के काफिले का हिस्सा नहीं थीं, बल्कि अन्य प्रोटोकॉल के लिए थीं। डीजल भरवाने के बाद ये गाड़ियां कुछ दूरी तय करने के बाद बंद हो गईं।
स्टॉक में मिला अंतर – जांच रिपोर्ट
अधिकारियों ने पंप के डेंसिटी और स्टॉक की जांच की। जांच के दौरान डीजल के विक्रय के बाद शेष स्टॉक एवं डीप स्टॉक में 720 लीटर का अंतर पाया गया। यह मान्य छूट सीमा 426 लीटर से अधिक था। ऑटोमेशन डिस्प्ले में डीजल टैंक में वाटर लेवल 6.63 सेंटीमीटर तथा पानी की मात्रा 197.43 लीटर दिखाई दे रही थी, जो स्पष्ट करता है कि डीजल टैंक में पानी मिल रहा था। अधिकारियों ने पंप से 5995 लीटर पेट्रोल एवं 10657 लीटर डीजल जप्त किया।
184 में से मात्र 50 पंपों की जांच
रतलाम जिले में कुल 184 पेट्रोल पंप हैं, लेकिन आपूर्ति विभाग अब तक केवल 50 पेट्रोल पंप की ही जांच कर पाया है। मुख्यमंत्री से मामला जुड़ा होने के कारण भोपाल स्तर से प्रदेश के सभी पेट्रोल पंप की जांच के आदेश दिए गए थे। कलेक्टर द्वारा हर तीन माह में पेट्रोल पंप की जांच का रोस्टर भी बनाया गया है। भारत पेट्रोलियम कंपनी के एरिया मैनेजर श्रीधर ने जांच रिपोर्ट के बारे में पूछे जाने पर कहा कि उन्होंने आपूर्ति अधिकारी को रिपोर्ट सौंप दी है और इस विषय पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे।
कलेक्टर राजेश बाथम ने कहा-पेट्रोल कंपनी को भेजेंगे रिपोर्ट
प्रोटोकॉल की अधिकृत वैंडर की गाड़िया थीं। डीजल में पानी मिलने की शिकायत पर जांच कराई गई है। ऑइल कंपनी की टीम द्वारा भी जांच की है। रिपोर्ट में डीजल में पानी पाया है। रिपोर्ट को आगे की कार्रवाई के लिए पेट्रोल कंपनी को भेज रहे हैं। पेट्रोल पंपों की लगातार जांच की जा रही है। लगभग 180 में से 50 की जांच हो गई है। अभी तक किसी में कोई मिलावट की बात सामने नहीं आई है।