भुवनेश्वर
केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने शनिवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर ओडिशा की संस्कृति का अपमान करने का आरोप लगाया। उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि राहुल गांधी को कोई ज्ञान नहीं है। वह आमतौर पर जनसभा में वही बोलते हैं, जो उन्हें लिखकर दिया जाता है। उन्हें उस विषय वस्तु के बारे में तनिक भी जानकारी नहीं होती है।
धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि राहुल गांधी ने ओडिशा की जनता और उनकी पार्टी द्वारा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के अपमान के लिए माफी मांगने की बजाय अहंकार दिखाया। उन्होंने कहा, “राहुल गांधी को ओडिशा की संस्कृति और परंपराओं का कोई ज्ञान नहीं है। ओडिशा में जब कोई बड़ा नेता या राष्ट्रपति जैसे सम्मानित व्यक्ति आते हैं, तो उन्हें भगवान जगन्नाथ का पवित्र वस्त्र भेंट किया जाता है। यह हमारी परंपरा है, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, रामनाथ कोविंद और गृहमंत्री अमित शाह ने सम्मान दिया। लेकिन, राहुल गांधी ने इस परंपरा का अपमान किया।”
उन्होंने कहा, “राहुल गांधी को ओडिशा की भाषा, साहित्य और सभ्यता की कोई समझ नहीं है। वे सिर्फ नाटक करते हैं। उनकी बातों में कोई दम नहीं है।” उन्होंने राहुल गांधी की तुलना एक ऐसे व्यक्ति से की, जिसकी “पढ़ाई कम, लेकिन स्कूल बैग बड़ा” है, और कहा कि उनकी पार्टी और बयानबाजी पूरी तरह से दिवालिया हो चुकी है।
उन्होंने यह भी कहा कि राहुल गांधी की टिप्पणियां ओडिशा के लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाली हैं। उन्होंने मांग की कि राहुल गांधी ओडिशा के लोगों और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से माफी मांगें, जिन्हें उनकी पार्टी ने बार-बार अपमानित किया है। उन्होंने कहा, “राहुल गांधी को ओडिशा आकर अपनी गलतियों के लिए माफी मांगनी चाहिए थी, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। यह उनके अहंकार को दिखाता है।”
इसके अलावा, धर्मेंद्र प्रधान ने राहुल गांधी के उन आरोपों का भी जवाब दिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि सरकार कुछ कंपनियों को फायदा पहुंचा रही है। प्रधान ने इसे बेबुनियाद बताया और कहा कि राहुल गांधी के पास कोई ठोस तथ्य नहीं है। उन्होंने ओडिशा की जनता से अपील की कि वे ऐसे बयानों पर ध्यान न दें और अपनी संस्कृति पर गर्व करें। बता दें कि राहुल गांधी ने 11 जुलाई को ओडिशा के भुवनेश्वर में “संविधान बचाओ समावेश” रैली को संबोधित किया था। उन्होंने भाजपा और पूर्व बीजद सरकार पर ओडिशा के संसाधनों की लूट और आदिवासियों के अधिकारों के हनन का आरोप लगाया था।