मोहम्मद फैज खान, एक समर्पित गोसेवक और सामाजिक सद्भावना के प्रतीक, ने 24 जून 2017 को लेह-लद्दाख से अपनी ऐतिहासिक गोसेवा सद्भावना पदयात्रा शुरू की। इस यात्रा को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के वरिष्ठ प्रचारक और मुस्लिम राष्ट्रीय मंच (MRM) के संस्थापक श्री इंद्रेश कुमार और केंद्रीय राज्य मंत्री श्री अर्जुन राम मेघवाल ने लेह में प्रारंभ करवाया। इस यात्रा का उद्देश्य गायों के संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूक करना और गोसेवा के माध्यम से साम्प्रदायिक सौहार्द को बढ़ावा देना था। शीराज कुरैशी अधिवक्ता, ने यात्रा प्रभारी के रूप में महत्वपूर्ण संगठनात्मक और कानूनी सहायता प्रदान की। यात्रा के समापन में जम्मू में गिरीश जुयल ने महत्वपूर्ण सहयोग किया। इस मिशन में दिलदार हुसैन, योगिता भयाना, योगेश पंडित, और इमरान चौधरी जैसे समर्पित सहयोगियों ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह यात्रा न केवल एक शारीरिक यात्रा थी, बल्कि एक आध्यात्मिक और सामाजिक संदेश की यात्रा थी, जिसने भारत के विभिन्न हिस्सों में लोगों को एकजुट किया।
यात्रा का प्रारंभ और प्रेरणा
मोहम्मद फैज खान, छत्तीसगढ़ के रायपुर के निवासी, ने अपनी प्रेरणा गिरीश पंकज के उपन्यास एक गाय की आत्मकथा से प्राप्त की। इस उपन्यास ने उन्हें गायों के प्रति संवेदनशील बनाया, और उन्होंने अपनी जिंदगी गोसेवा के लिए समर्पित करने का निर्णय लिया। फैज, जो पहले रायपुर के सूरजपुर डिग्री कॉलेज में राजनीति शास्त्र के प्रवक्ता थे, ने अपनी नौकरी छोड़कर इस नेक मिशन को अपनाया। उनकी प्रेरणा गुरु नानक देव और महात्मा बुद्ध जैसे महापुरुषों की पदयात्राओं से भी मिली, जिन्होंने समाज में बदलाव के लिए लंबी यात्राएं की थीं। श्री इंद्रेश कुमार ने इस यात्रा को सामाजिक सद्भावना के एक बड़े मिशन के रूप में देखा और फैज ख़ान को इसके लिए प्रेरित किया। श्री अर्जुन राम मेघवाल, जो उस समय केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण राज्य मंत्री थे, ने लेह में यात्रा के उद्घाटन में भाग लिया और इसे राष्ट्रीय एकता के प्रतीक के रूप में समर्थन दिया।
यात्रा का प्रारंभ लेह में सिंधु दर्शन उत्सव के दौरान हुआ। यह यात्रा दो चरणों में आयोजित की गई थी: पहला चरण लेह से कन्याकुमारी तक और दूसरा चरण कन्याकुमारी से शुरू होकर जम्मू-कश्मीर के कटरा में वैष्णो देवी मंदिर तक समाप्त होने वाला था।
यात्रा का मार्ग और अनुभव:
मोहम्मद फैज खान ने इस यात्रा में लगभग 14, 000 किलोमीटर की दूरी पैदल तय की, जिसमें भारत के 22 राज्यों को शामिल किया गया। वे प्रतिदिन 20-25 किलोमीटर पैदल चलते थे और जहां भी रुकते, वहां स्थानीय लोगों को गौ कथा के माध्यम से गायों के महत्व और उनके संरक्षण की आवश्यकता के बारे में जागरूक करते। उनके सामान को एक विशेष “कार रथ” में रखा जाता था, जो राजस्थान के एक गोसेवक द्वारा भेंट किया गया था। इस रथ को कैलाश वैष्णव चलाते थे, जो उनकी जरूरतों का ध्यान रखते थे।
यात्रा में उनके साथ समर्पित सहयोगी थे, जिनमें उत्तर प्रदेश के बलिया से पीयूष राय, गाजीपुर से किशन राय, छत्तीसगढ़ से बाबा परदेसी राम साहू, और राजस्थान के चित्तौड़गढ़ से कैलाश वैष्ण, अन्नपूर्णा बहन,हबीबुल्ला शामिल थे। इसके अतिरिक्त, दिलदार हुसैन, योगिता भयाना, योगेश पंडित, और इमरान चौधरी ने भी इस यात्रा में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
श्री इंद्रेश कुमार जी की भूमिका:
श्री इंद्रेश कुमार जी, RSS के वरिष्ठ प्रचारक और मुस्लिम राष्ट्रीय मंच और भारतफर्स्ट के संस्थापक, इस यात्रा के पीछे एक प्रेरक और मार्गदर्शक शक्ति थे। उनकी भूमिका निम्नलिखित थी:
• प्रेरणा और मार्गदर्शन: श्री इंद्रेश कुमार ने मोहम्मद फैज खान को इस यात्रा के लिए प्रेरित किया और इसे सामाजिक सद्भावना के एक बड़े मिशन के रूप में देखा। मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के माध्यम से, उन्होंने गोसेवा को सभी समुदायों के बीच एकता के प्रतीक के रूप में प्रस्तुत किया। उन्होंने लेह में यात्रा के उद्घाटन समारोह में भाग लिया और इसे राष्ट्रीय एकता के लिए एक महत्वपूर्ण कदम बताया।
• संगठनात्मक समर्थन: 24 दिसंबर 2002 को स्थापित मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने इस यात्रा को समर्थन प्रदान किया। इस मंच ने विभिन्न समुदायों, विशेष रूप से मुस्लिम समुदाय, को गोसेवा और राष्ट्रीय एकता के लिए प्रोत्साहित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
• सामाजिक एकीकरण: श्री इंद्रेश कुमार ने इस यात्रा को हिंदू-मुस्लिम एकता को मजबूत करने वाले मंच के रूप में देखा। उनकी दृष्टि थी कि गोसेवा को एक सांस्कृतिक और आध्यात्मिक मूल्य के रूप में प्रस्तुत किया जाए, जो सभी धर्मों के लोगों को एकजुट करे।
• रणनीतिक नेतृत्व: उन्होंने यात्रा के दौरान विभिन्न सामाजिक और धार्मिक संगठनों के साथ समन्वय स्थापित करने में मदद की। उनकी उपस्थिति और समर्थन ने इस यात्रा को राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता दिलाने में सहायता प्रदान की।
शीराज कुरैशी की भूमिका:
शीराज कुरैशी, एक अधिवक्ता और सामाजिक कार्यकर्ता, यात्रा प्रभारी के रूप में इस मिशन के संगठनात्मक ढांचे के आधारस्तंभ थे। उनकी भूमिका निम्नलिखित थी:
• यात्रा का प्रबंधन और समन्वय: कुरैशी ने यात्रा की योजना, मार्ग निर्धारण, और स्थानीय समुदायों के साथ समन्वय की जिम्मेदारी संभाली। उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि फैज ख़ान और उनकी टीम को भोजन, आवास, और परिवहन जैसे आवश्यक संसाधन उपलब्ध हों।
• कानूनी और सामाजिक सहायता: एक अधिवक्ता के रूप में, कुरैशी ने यात्रा के दौरान उत्पन्न होने वाली कानूनी या प्रशासनिक बाधाओं को हल किया। उन्होंने स्थानीय प्रशासन और संगठनों के साथ संवाद स्थापित कर यात्रा को सुचारू रूप से चलाने में मदद की।
• सामुदायिक जागरूकता: कुरैशी ने विभिन्न स्थानों पर गोसेवा और साम्प्रदायिक सौहार्द के संदेश को फैलाने में फैज के साथ मिलकर काम किया। उनकी वक्तृत्व कला और सामाजिक जुड़ाव ने लोगों को इस मिशन से जोड़ने में सहायता प्रदान की।
• संगठनात्मक नेतृत्व: उन्होंने सहयोगियों और स्वयंसेवकों की एक टीम का नेतृत्व किया, जो यात्रा के विभिन्न चरणों में शामिल थी। उनकी रणनीतिक दृष्टि और प्रबंधन कौशल ने इस लंबी और चुनौतीपूर्ण यात्रा को सफल बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
श्री अर्जुन राम मेघवाल की भूमिका:
केंद्रीय राज्य मंत्री श्री अर्जुन राम मेघवाल ने लेह में यात्रा के प्रारंभ में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उस समय वे केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण राज्य मंत्री थे। उनकी उपस्थिति ने इस यात्रा को सरकारी समर्थन और राष्ट्रीय महत्व प्रदान किया। उन्होंने यात्रा के उद्घाटन समारोह में भाग लिया और इसे सामाजिक एकता और गोसेवा के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए एक प्रेरणादायक कदम बताया। उनके समर्थन ने यात्रा को प्रारंभिक चरण में व्यापक पहचान दिलाई और इसे एक राष्ट्रीय मिशन के रूप में स्थापित करने में मदद की।
गिरीश जुयल की भूमिका:
गिरीश जुयल ने यात्रा के समापन चरण में जम्मू में महत्वपूर्ण सहयोग प्रदान किया। उन्होंने जम्मू में स्थानीय स्तर पर समन्वय और संगठनात्मक सहायता प्रदान की, जिससे यात्रा का समापन वैष्णो देवी, कटरा में सफलतापूर्वक हो सका। उनकी सक्रिय भागीदारी ने समापन समारोह को सुव्यवस्थित और प्रभावशाली बनाने में मदद की, जिससे यात्रा का संदेश अंत तक प्रभावी रहा।
सहयोगियों की भूमिका:
1. दिलदार हुसैन: मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के सक्रिय सदस्य, दिलदार हुसैन ने सामुदायिक समन्वय और जागरूकता अभियान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने स्थानीय मुस्लिम समुदायों के साथ संवाद स्थापित कर गोसेवा को सभी धर्मों के लिए समावेशी बनाने में मदद की। उनकी उपस्थिति ने यह संदेश दिया कि गोसेवा किसी एक धर्म तक सीमित नहीं है।
2. योगिता भयाना: योगिता भयाना ने प्रशासनिक और सामाजिक गतिविधियों में सहयोग प्रदान किया। उन्होंने विशेष रूप से महिलाओं और युवाओं को गोसेवा और पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक करने में योगदान दिया। उनकी ऊर्जा और समर्पण ने यात्रा को और प्रभावी बनाया।
3. इमरान चौधरी: इमरान चौधरी ने सामुदायिक जुड़ाव और प्रचार-प्रसार में योगदान दिया। उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को गोसेवा के महत्व और इसके आर्थिक लाभों के बारे में बताया। उनकी सक्रिय भागीदारी ने यात्रा को सामाजिक स्तर पर और प्रभावी बनाया।
सामाजिक संदेश और चुनौतियां:
मोहम्मद फैज खान ने इस यात्रा के माध्यम से न केवल गायों के संरक्षण का संदेश दिया, बल्कि यह भी बताया कि गोसेवा किसी धर्म विशेष से नहीं जुड़ी। उन्होंने कहा, “कुछ लोगों ने गोमांस को मुस्लिम धर्म के साथ जोड़ दिया है, जो पूरी तरह गलत है। पैगंबर हजरत मुहम्मद साहिब ने कहा है कि गाय का दूध शिफा (स्वास्थ्यवर्धक) है, इसका मक्खन दवा है, और गोश्त बीमारी है।” उनका मानना था कि गाय से प्राप्त दूध, दही, घी, गोबर, और गोमूत्र मानव जीवन के लिए अत्यंत उपयोगी हैं।
यात्रा के दौरान फैज ख़ान और उनकी टीम ने कई चुनौतियों का सामना किया, जिसमें लंबी दूरी, मौसम की कठिनाइयां, और सामाजिक पूर्वाग्रह शामिल थे। फिर भी, श्री इंद्रेश कुमार और श्री अर्जुन राम मेघवाल के मार्गदर्शन और समर्थन, शीराज कुरैशी के प्रबंधन, गिरीश जुयल के समापन में सहयोग, और दिलदार हुसैन, योगिता भयाना और इमरान चौधरी जैसे सहयोगियों के समर्पण ने इस यात्रा को अडिग रखा। वाराणसी में चार दिन रुकने के दौरान वे विभिन्न संगठनों द्वारा आयोजित कार्यक्रमों में शामिल हुए, जहां उन्होंने गोसेवा और साम्प्रदायिक सद्भावना का संदेश दिया। इस यात्रा को मुस्लिम राष्ट्रीय मंच का भी समर्थन प्राप्त था।
यात्रा का समापन:
यात्रा का प्रारंभिक लक्ष्य अमृतसर में समापन था, लेकिन जम्मू-कश्मीर के विशेष राज्य का दर्जा समाप्त होने के बाद फैज ने अपनी यात्रा का समापन वैष्णो देवी, कटरा में करने का निर्णय लिया। 11 दिसंबर 2019 तक उनकी यात्रा पंजाब में प्रवेश कर चुकी थी, और तब तक वे 13, 500 किलोमीटर की दूरी तय कर चुके थे। अंतिम 500 किलोमीटर की यात्रा बाकी थी, जिसे वे कटरा पहुंचकर पूरा करने वाले थे। गिरीश जुयल के सहयोग से जम्मू में समापन समारोह सुव्यवस्थित और प्रभावशाली रहा।
यात्रा का प्रभाव:
इस यात्रा ने न केवल गोसेवा के प्रति जागरूकता फैलाई, बल्कि यह भी दिखाया कि सामाजिक सद्भावना और एकता किसी भी धर्म या समुदाय की सीमाओं से परे है। मोहम्मद फैज खान के नेतृत्व, श्री इंद्रेश कुमार के मार्गदर्शन और समर्थन, शीराज कुरैशी के संगठनात्मक कौशल, गिरीश जुयल के समापन में सहयोग, और दिलदार हुसैन, योगिता भयाना और इमरान चौधरी के साथ अन्य महानुभाव के योगदान ने इस यात्रा को एक मिसाल बनाया कि कैसे समर्पण और एकजुटता से समाज में सकारात्मक बदलाव लाया जा सकता है। जय हिन्द