(शीराज़ क़ुरैशी अधिवक्ता)
18 जून 2025 को व्हाइट हाउस में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष जनरल आसिम मुनीर के बीच हुई लंच बैठक ने वैश्विक मंच पर एक बार फिर पाकिस्तान की दोगली नीतियों और उसकी भिखारी देश की छवि को उजागर किया है। यह मुलाकात न केवल ईरान के साथ विश्वासघात का प्रतीक है, बल्कि भारत के प्रति पाकिस्तान के डर और उसकी कूटनीतिक कमजोरी को भी दर्शाती है। दूसरी ओर, भारत, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में, अपनी मजबूत विदेश नीति और आत्मनिर्भरता के साथ वैश्विक मंच पर एक शक्तिशाली और सम्मानित राष्ट्र के रूप में उभर रहा है। इस लेख में हम पाकिस्तान की दोगली हरकतों, उसकी आर्थिक और कूटनीतिक विफलताओं, भारत की महानता, और ट्रंप के न्योते को ठुकराने के पीछे मोदी जी के साहसिक निर्णय के महत्व का विश्लेषण करेंगे।
पाकिस्तान की दोगली हरकतें और विश्व में भिखारी की छवि
पाकिस्तान लंबे समय से अपनी दोहरी नीतियों के लिए कुख्यात रहा है। एक ओर, वह ईरान के साथ सांस्कृतिक और धार्मिक एकता का दावा करता है और इजरायल के हमलों की निंदा करता है। दूसरी ओर, जनरल आसिम मुनीर का ट्रंप के साथ निजी लंच करना इस बात का स्पष्ट संकेत है कि पाकिस्तान अमेरिका के सामने घुटने टेकने को तैयार है। यह मुलाकात तब हुई, जब इजरायल ने 13 जून 2025 को ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमला किया, और ईरान ने जवाबी कार्रवाई की। ऐसे में, मुनीर की अमेरिका यात्रा ने सवाल उठाया कि क्या पाकिस्तान ईरान के खिलाफ अमेरिका को अपने हवाई क्षेत्र या सैन्य अड्डों का उपयोग करने की अनुमति देगा, जैसा कि उसने 2001-2021 के अफगानिस्तान युद्ध में किया था।
पाकिस्तान की यह दोगली नीति नई नहीं है। वह आतंकवाद को पनाह देता है, फिर भी आतंकवाद विरोधी सहयोग का ढोंग रचता है। मई 2025 में भारत-पाकिस्तान के बीच हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान पाकिस्तान ने आतंकियों को समर्थन दिया, लेकिन जब भारत ने जवाबी कार्रवाई की, तो वह सीजफायर के लिए गिड़गिड़ाने लगा। मुनीर ने वाशिंगटन में दावा किया कि पाकिस्तान ने भारत के 70% साइबर ग्रिड को हैक कर लिया, जो एक हास्यास्पद और आधारहीन बयान है। ये दावे उनकी हताशा और भारत के सामने अपनी छवि बचाने की कोशिश को दर्शाते हैं।
आर्थिक मोर्चे पर, पाकिस्तान एक भिखारी देश के रूप में विश्व के सामने आ चुका है। उसकी अर्थव्यवस्था आईएमएफ और विदेशी कर्जों पर टिकी है। वह सऊदी अरब, चीन और अमेरिका से बार-बार बेलआउट पैकेज मांगता रहता है। वाशिंगटन में मुनीर के खिलाफ इमरान खान के समर्थकों ने प्रदर्शन किए, उन्हें “पाकिस्तान का कातिल” कहकर ललकारा। यह पाकिस्तान की आंतरिक अस्थिरता और सैन्य तानाशाही की हकीकत को उजागर करता है। एक ऐसा देश, जो अपनी जनता को बुनियादी सुविधाएं नहीं दे सकता, वैश्विक मंच पर केवल भिखारी की तरह हाथ फैलाता है और अपनी संप्रभुता को बार-बार गिरवी रखता है।
भारत की वैश्विक गरिमा और मोदी जी की दूरदर्शिता
पकात के विपरीत, भारत आज वैश्विक मंच पर एक आत्मनिर्भर और शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में उभर रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने न केवल आर्थिक सुधारों के बल पर दुनिया की शीर्ष अर्थव्यवस्थाओं में अपनी जगह बनाई है, बल्कि अपनी स्वतंत्र विदेश नीति के जरिए वैश्विक सम्मान भी अर्जित किया है। भारत ने आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति को अपनाया और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में पाकिस्तान को करारा जवाब दिया।
मोदी सरकार ने रक्षा क्षेत्र में स्वदेशीकरण को बढ़ावा दिया। डीआरडीओ द्वारा विकसित अग्नि-6 मिसाइलें, स्वदेशी विमानवाहक पोत INS विक्रांत, और साइबर सुरक्षा में प्रगति भारत की सैन्य ताकत का प्रतीक हैं। भारत ने न केवल अपनी सीमाओं की रक्षा की, बल्कि वैश्विक मंचों जैसे G20 और BRICS में नेतृत्वकारी भूमिका निभाई। भारत की ‘आत्मनिर्भर भारत’ नीति ने उसे विदेशी दबाव से मुक्त किया और एक विश्व गुरु के रूप में स्थापित किया।
ट्रंप के न्योते को ठुकराने का महत्व
मोदी जी का ट्रंप के न्योते को अस्वीकार करना भारत की स्वतंत्र विदेश नीति और आत्मसम्मान का ऐतिहासिक उदाहरण है। मई 2025 में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद ट्रंप ने भारत-पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता का दावा किया, जिसे भारत ने साफ तौर पर खारिज कर दिया। ट्रंप की ओर से वाशिंगटन में एक औपचारिक न्योता भेजा गया, लेकिन मोदी जी ने इसे ठुकराकर स्पष्ट संदेश दिया कि भारत अपने राष्ट्रीय हितों पर किसी भी बाहरी दबाव को स्वीकार नहीं करेगा।
यह निर्णय कई मायनों में महत्वपूर्ण है। पहला, इसने भारत की संप्रभुता को मजबूत किया और यह साबित किया कि भारत किसी भी देश के सामने झुकने के लिए मजबूर नहीं है। दूसरा, यह पाकिस्तान को संदेश था कि भारत उसकी दोगली नीतियों और आतंकवाद के मुद्दे पर कोई समझौता नहीं करेगा। तीसरा, यह ईरान जैसे मित्र देशों को भरोसा दिलााया कि भारत क्षेत्रीय संतुलन बनाए रखेगा और अमेरिका की एकतरफा नीतियों का अंधानुकरण नहीं करेगा।।
मोदी जी का यह कदम उनकी दूरदर्शिता और साहस को दर्शाता है। उन्होंने न केवल भारत की कूटनीतिक स्वतंत्रता को संरक्षित किया, बल्कि वैश्विक मंच पर भारत को एक स्वाभिमानी राष्ट्र के रूप में प्रस्तुत किया। यह भी उजागर करता है कि भारत अब वह देश नहीं है जो विदेशी शक्तियों के सामने झुके बल्कि वह एक ऐसा देश है जो अपने निर्णय खुद लेता है और विश्व में अपनी शर्तों पर खड़ा है।
पाकिस्तान के लिए सबक और भारत की चुनौतियाँ:
पकिस्तान की दोगली हरकतें और भिखारी देश की छवि उसे वैश्विक मंच पर अलग-थलग कर रही हैं। उसकी जनता आंतरिक अशांति और आर्थिक संकट से त्रस्त है, जबकि उसकी सेना और सरकार केवल विदेशी सहायता के लिए हाथ फैलाने में व्यस्त हैं। दूसरी ओर, भारत के लिए यह समय अपनी कूटनीति और सैन्य शक्ति को और मजबूत करने का है। साथ ही, पाकिस्तान के आतंकी समर्थन और साइबर हमलों के खिलाफ सख्त कार्रवाई जारी रखनी होगी।
आसिम मुनिर की ट्रंप के साथ मुलाकात ने एक बार फिर पाकिस्तान की दोगली नीतियों और उसकी भिखारी मानसिकता को दुनिया के सामने लाया। यह मुलाकात न केवल पाकिस्तान के मित्र ईरान के साथ विश्वासघात है, बल्कि भारत के प्रति उसके डर और हताशा का भी प्रतीक है। दूसरी ओर, मोदी जी का ट्रंप के न्योते को ठुकराना भारत की स्वतंत्रता, स्वाभिमान और वैश्विक नेतृत्व का प्रतीक है। भारत आज एक शक्तिशाली, आत्मनिर्भर और सम्मानित राष्ट्र के रूप में विश्व मंच पर खड़ा है, जो न केवल अपनी सीमाओं की रक्षा करता है, बल्कि विश्व शांति और संतुलन में योगदान देता है। पाकिस्तान को अपनी दोगली हरकतों से सबक लेना चाहिए और समझना चाहिए कि विश्व मंच पर सम्मान कमा कर बनाया जाता है, भिखारी बन कर नहीं। जय हिन्द!
शीराज़ क़ुरैशी अधिवक्ता
राष्ट्रीय संयोजक, भारत फर्स्ट