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मेट्रोपोलिटन सिटी बनाने भोपाल, विदिशा, रायसेन, सीहोर और राजगढ़ जिले को मिला ने की तैयारी

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Last updated: May 16, 2025 9:06 am
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13 Min Read
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भोपाल

 भोपाल को ग्रेटर केपिटल की तर्ज पर विकसित करने के लिए भोपाल विकास प्राधिकरण को भोपाल मेट्रोपोलिटन रीजन (Bhopal Metropolitan Region)का नोडल एजेंसी बनाया है। इंदौर में भी आइडीए का यह जिमा सौंपा गया है। भोपाल मेट्रोपोलिटन रीजन में भोपाल, विदिशा, सीहोर, रायसेन व राजगढ़ शामिल हैं।

प्रमुख सचिव शहरी आवास एवं विकास संजय शुक्ला के अनुसार बीडीए कंसलटेंट तय कर आगामी प्लानिंग बनाएगा। यह उच्चाधिकारियों की मंजूरी के बाद आगे बढ़ेगी।भोपाल, विदिशा, रायसेन, सीहोर और राजगढ़ को मिलाकर मेट्रोपोलिटन सिटी बनाने की कवायद शुरू कर दी गई है। इसके तहत अगले 14 महीने में पांचों जिलों का सर्वे करने के साथ रीजनल डेवलपमेंट एंड इंवेस्टमेंट प्लान बनाया जाएगा।

इस प्लान के आधार पर भोपाल को मेट्रोपोलिटन सिटी बनाया जाना है। बुधवार को संभागायुक्त संजीव सिंह के कार्यालय में पांचों जिलों के कलेक्टर्स की मौजूदगी में बीडीए के सीईओ श्यामवीर सिंह ने प्रजेंटेशन दिया। इसमें डीपीआर को लेकर बात रखी गई।
आठ हजार वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र कवर होगा

संभागायुक्त ने बताया कि पांच जिलों के आठ हजार वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र को कवर करेगा और इसमें पांच जिले शामिल होंगे, जिसमें भोपाल, विदिशा, रायसेन, सीहोर और राजगढ़ शामिल किया गया है। इन जिलों को जोड़ने से महानगर की आबादी 35 लाख हो जाएगी।

चार स्टेज में काम किया जाएगा। पहले चरण में टीम का गठन, सर्वे, बैठकें आयोजित कर अमलीजामा पहनाना, वर्कप्लान फाइनल करना, सभी विभागों का सर्वे अपने अपने एरिया में करना और विधानसभावार 18 विभागों का डेटा जुटाने का काम किया जाएगा, जबकि आखिरी स्टेज में इंजीनियरिंग, लागत अनुमान और वर्कप्लान की डीपीआर तैयार की जाएगी।

दो जून को डीपीआर बनाने के लिए टेंडर निकाला जाएगा। इसके आधार पर टैंडर लेने वाली कंपनी को डीपीआर बनाने का काम सौंपा जाएगा। इस डीपीआर के लिए 18 विभागों से डेटा मांगा गया है।
ये तहसील होंगी शामिल

    भोपाल जिला : हुजूर, बैरसिया, कोलार
    विदिशा जिला : विदिशा शहर, ग्यारसपुर, गुलाबगंज
    रायसेन जिला : रायसेन, औबेदुल्लागंज, गौहरगंज
    सीहोर जिला : सीहोर शहर, आष्टा, इच्छावर, श्यामपुर, जावर
    राजगढ़ जिला : राजगढ़, नरसिंहगढ़, पचोर

ये भी होंगे काम

    पांचों जिलों के गांव और शहरों को एक दूसरे से जोड़ा जाएगा
    सड़कों को एक दूसरे से जोड़कर आवागमन आसान किया जाएगा
    इन शहरों शुरू होगा उद्योगों का विकास
    इन जिलों के पर्यटन क्षेत्रों को जोड़ा जाएगा
    सैटेलाइट से गांवों को चिह्नित किया जाएगा
    कचरा डिस्पोजल और सीवेज सिस्टम भी डेवलप किया जाएगा

ऐसे होगा काम
● सीहोर- भोपाल की प्लानिंग कर तालाब व कैचमेंट संरक्षण का काम होगा।

● मंडीदीप औद्योगिक क्षेत्र को भोपाल से जोडकऱ काम किया जाएगा।
● अन्य जिलों में स्थित भोपाल के पास की वैश्विक धरोहरें सांची, भीमबैठका और अन्य पर भोपाल से काम तय हो जाएगा।

● मेट्रो का नेटवर्क भी पास के क्षेत्रों तक बढ़ाने की राह खुलेगी।

टूरिस्ट सेंटर व सर्किट की प्लानिंग
मेट्रोपॉलिटन रीजन में सेटेलाइट टाउन बनाकर नए आवासीय क्षेत्र विकसित किए जाएंगे। अतिरिक्त आबादी को इसमें बसाया जाएगा। शहरी क्षेत्र की बजाय रीजन के रूरल एरिया में विशेष आवासीय क्षेत्र बनाकर लोगों को बसाएंगे और कार्यस्थल पर आवाजाही के लिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट को बेहतर करेंगे। इतना ही नहीं, रीजन में नए टूरिस्ट सेंटर व सर्किट तय किए जाएंगे।

इस तरह होगा विकास का खाका
क्षेत्रीय कनेक्टिविटी की योजना

ग्रोथ सेंटर को चिन्हित करना

सेटेलाइट टाउन के लिए क्षेत्र चिन्हित करना

टूरिस्ट सेंटर व सर्किट भी तय होगा
पर्यावरणीय विकास के लिए पूरा मैनेजमेंट तय करना

बेहतर कृषि भूमि का संरक्षण प्लान

कैपिटल इन्वेस्टमेंट प्लान होगा, जिसमें रोड, प्राकृतिक नाले, जनसुविधाएं व सेवाओं के साथ रीजन के आर्थिक विकास का पूरा मैप रहेगा।
टूरिस्ट सेंटर व सर्किट की प्लानिंग
भोपाल मेट्रोपॉलिटन रीजन का प्राथमिक मैप तैयार है। बेहतर प्लान के साथ रीजन तय करेंगे। भोपाल का स्वरूप बदलेगा, विकास की संभावनाएं बढ़ेगी।

– संजीव सिंह, संभागायुक्त व प्रशासक बीडीए

एमपी में 9 शहरों को मिलाकर बनेंगे 2 मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र, 6 संभागों का होगा डेवलपमेंट

 मध्यप्रदेश में औद्योगिक विकास और निवेशकों को बढ़ावा देने के साथ-साथ नगरों के सुव्यवस्थित विकास के लिए दो मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र बनाने की कवायद शुरू हो गई है। पहला मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र इंदौर-उज्जैन-देवास और धार को मिलाकर और दूसरा मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र भोपाल-सीहोर, रायसेन-विदिशा-ब्यावरा (राजगढ़) को मिलाकर विकसित किया जाएगा।

 केंद्र के विजन के मुताबिक राज्य के प्रमुख संभाग मुख्यालय ग्वालियर, सागर, रीवा, जबलपुर, नर्मदापुरम और शहडोल को रीजनल इकोनॉमिक ग्रोथ हब के रूप में विकसित करने की तैयारी है। सरकार का यह प्रयास अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के साथ-साथ रोजगार, व्यापार और निवेश के नये अवसरों को भी बढ़ावा देने के लिए किया जा रहा है।

सुविधाओं में होगा सुधार
जानकारी के तहत इंदौर मेट्रोपॉलिटन सिटी में इंदौर का 100 प्रतिशत क्षेत्र शामिल किया जाएगा, जबकि उज्जैन का 44 प्रतिशत धार और नागदा का भी कुछ हिस्सा इसमें जोड़ा जाएगा। इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य औद्योगिक और शहरी विकास को संगठित तरीके से आगे बढ़ाना है, जिससे आधारभूत सुविधाओं में सुधार हो और निवेशकों को आकर्षित किया जा सके।

5 जिलों की बदल जाएगी सूरत, जानिए कैसे मेगा रोड प्रोजेक्ट से 80 लाख को होगा फायदा

 मध्य प्रदेश के पांच जिलों – भोपाल, विदिशा, सीहोर, रायसेन और नर्मदापुरम की सूरत अब जल्द ही बदलने वाली है। राज्य सरकार ने इन क्षेत्रों में मेगा रोड प्रोजेक्ट की शुरुआत की है, जिसका उद्देश्य इन जिलों के बीच बेहतर कनेक्टिविटी स्थापित करना है। इस परियोजना के तहत, आने वाले समय में इन क्षेत्रों के लोग 80 लाख की आबादी तक को फायदा पहुंचने की उम्मीद है।

इन जिलों को भोपाल से बेहतर कनेक्ट करने के लिए सड़क नेटवर्क पर काम तेज कर दिया गया है और कंसल्टेंट तय करने की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है। अगले एक महीने में इन पांच जिलों से जुड़े रोड नेटवर्क का सर्वे भी पूरा कर लिया जाएगा।

सीएम का ग्रेटर राजधानी की बात करना

हाल ही में भोपाल में आयोजित आंबेडकर ब्रिज के लोकार्पण कार्यक्रम में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने वृहद राजधानी के निर्माण की बात की थी। इस घोषणा के बाद से ही इस दिशा में कार्य शुरू हो गया था और अब वृहद राजधानी के रूप में भोपाल और आसपास के इलाकों का विकास एक संगठित तरीके से किया जाएगा। यह परियोजना वृहद और समग्र विकास की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है।

भोपाल का मास्टर प्लान रोका जाएगा

ग्रेटर भोपाल के मास्टर प्लान को रोकने की योजना बनाई गई है, ताकि भोपाल और उसके आसपास के पांच जिलों को एक ही क्लस्टर के रूप में विकसित किया जा सके। टीएंडसीपी (Town and Country Planning Department) के अधिकारियों को शासन की ओर से यह निर्देश दिए गए हैं। अब भोपाल सहित पांच जिलों का समग्र विकास एक ही योजना के तहत किया जाएगा। इन जिलों में सीहोर, भोपाल-नरसिंहगढ़, ब्यावरा-राजगढ़, भोपाल-नर्मदापुरम, भोपाल-विदिशा और भोपाल-रायसेन तक की योजनाएं शामिल की जाएंगी।

संरक्षण कार्यों में सुधार

वर्तमान में, भोपाल और सीहोर अलग-अलग विकास योजनाओं के तहत काम करते हैं, जबकि दोनों में बड़ा तालाब और उसका कैचमेंट एरिया साझा है। अलग-अलग योजनाएं होने के कारण संरक्षण कार्य आधे-अधूरे होते हैं। अब वृहद राजधानी योजना के तहत दोनों क्षेत्रों को एकजुट करके संरक्षण कार्यों में अधिक प्रभावशीलता लाई जा सकेगी।

मंडीदीप औद्योगिक क्षेत्र का विकास

मंडीदीप औद्योगिक क्षेत्र भोपाल के पास स्थित है, लेकिन यह रायसेन जिले में आता है। इससे पहले, भोपाल के साथ इसके विकास के लिए कोई ठोस योजना नहीं बनाई जा सकती थी। अब इसे वृहद राजधानी में शामिल किया जाएगा, जिससे यह वैश्विक नक्शे पर भी नजर आएगा और इसके विकास की दिशा में योजनाएं बनाई जा सकेंगी।

वैश्विक धरोहरों का संरक्षण और विकास

भोपाल से सांची और भीम बेटिका जैसी वैश्विक धरोहरों का संरक्षण और विकास पहले संभव नहीं था। इन धरोहरों का संबंध अब भोपाल के विकास से सीधे जुड़ जाएगा, जिससे इनका संरक्षण और प्रबंधन बेहतर तरीके से किया जा सकेगा।

भोपाल में मेट्रो नेटवर्क का विस्तार

भोपाल में मेट्रो नेटवर्क का विस्तार लगातार हो रहा है। फिलहाल, मेट्रो का नेटवर्क मंडीदीप तक बढ़ाया जा रहा है। भविष्य में, बड़े बजट से मेट्रो को भोपाल के 100 किमी दायरे के बाहर भी विस्तार दिया जाएगा, जिससे भोपाल के आसपास के इलाकों में मेट्रो की आवाजाही आसान हो जाएगी और इससे शहर के यातायात में भी सुधार होगा।

नई प्लानिंग से बढ़ेगी गति और स्तर

सुयश कुलश्रेष्ठ का कहना है कि इस नई योजना में 80 लाख लोगों की आबादी को ध्यान में रखते हुए प्लानिंग का स्तर पहले से कहीं अधिक व्यापक होगा और इस पर काम की गति भी तेज होगी। अब इस वृहद परियोजना का उद्देश्य महानगरीय स्वरूप में नगरों का विकास करना है, ताकि यह योजना और उसके परिणाम पूरी तरह से एक बड़े शहर के विकास के अनुरूप हो।

उन्होंने आगे कहा, "अगर पब्लिक ट्रांसपोर्ट में सुधार होगा तो निश्चित रूप से भोपाल शहर में आबादी का दबाव घटेगा। इस दिशा में काम शुरू हो चुका है और अब इसे तेज गति से पूरा किया जाएगा।"

समग्र योजना के तहत विभिन्न एजेंसियों के सहयोग से सर्वे

ग्रेटर राजधानी के विकास के लिए टीएंडसीपी (टाउन एंड कंट्री प्लानिंग डिपार्टमेंट) के संचालक सह आयुक्त श्रीकांत बनोठ ने भी इस योजना को लेकर बयान दिया। उनका कहना था, "हम विभिन्न एजेंसियों से मिलकर उनके सर्वे का उपयोग करते हैं, ताकि हम पूरे क्षेत्र का एक समग्र विकास योजना तैयार कर सकें। कई बार हम खुद भी सर्वे कराते हैं।"

भविष्य में विकास का मार्ग प्रशस्त

ग्रेटर राजधानी योजना का लक्ष्य सिर्फ आधुनिक शहर विकसित करना नहीं है, बल्कि इसके जरिए भोपाल और आसपास के जिलों का समग्र विकास सुनिश्चित करना भी है। इस योजना के तहत, संचार और यातायात के क्षेत्र में सुधार के साथ-साथ, आवश्यक सुविधाओं का भी विस्तार किया जाएगा। इसके परिणामस्वरूप, भोपाल और अन्य जुड़े हुए क्षेत्रों में स्मार्ट सिटी की दिशा में कार्य किए जाएंगे।

पब्लिक ट्रांसपोर्ट का सुधार

पब्लिक ट्रांसपोर्ट में सुधार, विशेषकर मेट्रो और अन्य सार्वजनिक परिवहन के नेटवर्क का विस्तार, भोपाल शहर के साथ-साथ आसपास के इलाकों में भी यातायात को सुविधाजनक बनाएगा। इसके अलावा, ग्रेटर राजधानी योजना से जुड़े क्षेत्रों में आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण के साथ, शहरी जीवन की गुणवत्ता में भी सुधार होगा।

ग्रेटर राजधानी के फायदे

    आबादी का दबाव घटेगा: बेहतर पब्लिक ट्रांसपोर्ट के कारण भोपाल के भीतर आबादी का दबाव कम होगा और परिवहन प्रणाली में सुधार होगा।

    विकास का समग्र मॉडल: पांच जिलों के समग्र विकास की योजना के तहत सभी क्षेत्रों में समान विकास के अवसर मिलेंगे, जिससे सामाजिक और आर्थिक समानता को बढ़ावा मिलेगा।

    वैश्विक धरोहरों का संरक्षण: जैसे सांची और भीम बेटिका, इनका संरक्षण और विकास एक साथ किया जाएगा, जो इन इलाकों को विश्व स्तर पर पहचाने जाने में मदद करेगा।

 

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