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आतंकवादियों की फैक्‍ट्री चलाने वाले पाकिस्‍तान को भारत ने दिया जवाब, तीसरे देश की मध्‍यस्‍तता को नकारा

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Last updated: May 15, 2025 4:34 pm
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16 Min Read
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डॉ राघवेंद्र शर्मा
ऑपरेशन सिंदूर ने और उसे अंजाम देने वाली भारतीय सेना ने देश के प्रत्येक नागरिक का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया है। वहीं यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने इस कार्रवाई को एक ऐसे मुकाम तक पहुंचा दिया है, जिसके परिणाम स्वरूप भविष्य में पाकिस्तान और वहां बैठे आतंकी भारत पर हमला करना तो दूर उसकी ओर आंख उठा कर देखने का दुस्साहस भी ना कर सकेंगे। प्रधानमंत्री की मंशा अनुरूप हमारी सेना के जांबाज सिपाहियों ने भी पाकिस्तान की नापाक हरकतों का मुंह तोड़ जवाब दे कर यह जता दिया कि पहले हम किसी को छेड़ते नहीं, और यदि कोई हमें छेड़े तो फिर उसे हम छोड़ते नहीं। हालांकि भारत सरकार ने शत्रु देश का काफी नुकसान करने के बावजूद अपनी सैन्य कार्रवाई को औपचारिक रूप से युद्ध का नाम नहीं दिया।

किंतु जिस प्रकार से हमारी सीमाओं के आसपास पड़ोसी देश के ड्रोन देखे गए, मिसाइलें गिराने की असफल कोशिशें हुईं। जवाबी कार्रवाई में भारतीय सेना ने पाकिस्तान के सैन्य संसाधनों को हवा में ही नष्ट किया और शत्रु देश के अनेक एयरबेस उड़ाने में सफल रही। पाकिस्तान में संचालित आतंकियों के अनेक प्रशिक्षण केंद्रों को ध्वस्त किया गया। इस कार्रवाई में 100 से अधिक ऐसे आतंकवादी मारे गए, जो भारत सहित दुनिया की अनेक आतंकवादी घटनाओं में शामिल थे या फिर अनगिनतआतंकवादी घटनाओं के रणनीतिकार रहे। भारत की जवाबी कार्रवाई में अनेक ऐसे लोग भी मारे गए जो पाकिस्तान सरकार और वहां की खुफिया एजेंसी आईएसआई के इशारे पर वहां आतंकवाद की फैक्ट्री चला रहे थे। उपरोक्त स्थानों पर आतंकवादियों को प्रशिक्षित कर उन्हें दुनिया भर में शांति भंग करने के लिए निर्यात कर रहे थे। भारतीय सेना की आक्रमकता को देखते हुए तत् समय ही यह स्पष्ट हो गया था कि परिस्थितियां औपचारिक युद्ध के मार्ग पर कदम आगे बढ़ा चुकी थीं। इसी से भयाक्रांत होकर पाकिस्तानी हुक्मरान अमेरिकी दरबार में ढोक लगाने को मजबूर हुए।

यही वजह रही कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप दोनों देशों के बीच स्वस्फूर्त मध्यस्थता करने के लिए प्रयासरत दिखाई दिए। हालांकि देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और तीनों सेनाओं के भारतीय प्रमुखों ने प्रेस वार्ताओं के माध्यम से तत्काल यह स्पष्ट कर दिया कि यह विशुद्ध दो देशों के बीच का मामला है, इसमें भारत को किसी तीसरे देश की मध्यस्थता कतई स्वीकार नहीं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी भली भांति जानते हैं कि भारत पाकिस्तान की अकल ठिकाने लगाने के मूड में है और वह इस मामले में किसी भी तीसरे देश की मध्यस्थता स्वीकार नहीं करेगा। यही वजह रही की ट्रंप केवल दावा करते दिखाई दिए कि भारत पाकिस्तान सीज फायर के लिए तैयार हो गए हैं।
 यह बात भी अब स्पष्ट हो चुकी है कि पाकिस्तान के शीर्ष सेना अधिकारी और वहां के हुक्मरान भारत से सीज फायर की गुहार लगा चुके हैं ।  इसे भारत का बड़प्पन ही कहा जाएगा कि उसने पाकिस्तान की गिड़गिड़ाहट को नजरअंदाज नहीं किया। फल स्वरुप कुछ देर के लिए दुनिया ने भारत और पाकिस्तान के बीच सीज फायर की स्थिति भी देखी। लेकिन हमारी सरकार और सेना ने इस बीच एहतियाती इंतजाम ढीले नहीं किये और पाकिस्तान की ओर से होने वाली हरकतों पर नजर बनाए रखी। जैसी कि पुख्ता धारणा है, पाकिस्तान अस्तित्व में आने के बाद से ही भरोसेमंद देश नहीं रहा है। इस बार भी उसने गैर भरोसेमंद काम ही किया। एक ओर वह अमेरिका को माध्यम बनाकर भारत सरकार की बारगाह में सैन्य कार्यवाही रोकने की गुहार लगाता रहा, तो दूसरी ओर उसने भारतीय सीमा के भीतर एक बार फिर सशस्त्र ड्रोन भेजने की हिमाकत कर डाली।

अंतर्राष्ट्रीय विश्लेषकों का मानना है कि शांति की गुहार लगाकर भारतीय सीमाओं में ड्रोन भेजने की स्थिति पाकिस्तानी सेना और वहां की चुनी हुई सरकार के बीच उठा पटक मचने के चलते बनी होगी। क्योंकि पाकिस्तान का इतिहास रहा है, वहां के हुक्मरान आवाम की चिंता किए बगैर खुद की सलामती सुनिश्चित करने और अपना राजनीतिक उल्लू साधने में संलग्न बने रहते हैं। जबकि पाकिस्तान की सेना हमेशा इस ताक में बनी रहती है कि कब सरकार गलती करे और कब उसका तख्ता पलट कर पाकिस्तान में सैन्य शासन स्थापित किया जाए। खैर, यह उनका अंदरूनी मामला है। हमारा काम तो केवल इतना सा है कि हमारी सेना ने उन सभी ड्रोन को या तो हवा में ही नष्ट कर दिया या फिर उन्हें निष्क्रिय करके वापस पाकिस्तान की ओर भागने को मजबूर किया।

यानि एक बार फिर सिद्ध हुआ कि पाकिस्तान कहता कुछ और है, करना कुछ और चाहता है। इससे भी ज्यादा हास्यास्पद बात यह है कि उसकी अपेक्षाओं से विपरीत जाकर हो कुछ और ही जाता है। जहां तक भारत से मुकाबले की बात है तो इस मामले में पाकिस्तान ने हमेशा मुंह की ही खाई है।  यदि देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लगातार आगे बढ़ रहे नए भारत की बात की जाए तो इसी कालखंड में सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक के माध्यम से पाकिस्तान की अकल ठिकाने लगाई जा चुकी है। अब जब एक बार फिर पाकिस्तान ने अपनी नापाक हरकतों से जम्मू कश्मीर की भूमि को रक्त रंजित किया, तो भारत का कोप उस पर कुछ ज्यादा ही भारी पड़ गया। पाकिस्तान में स्थित आतंकवाद के अड्डों और वहां सुरक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण जगहों पर भारतीय सेना ने एक  प्रकार से आफत ही बरसा दी । यानि परिस्थितियां कुछ ऐसी निर्मित हुईं कि प्रत्येक भारतीय नागरिक  पाकिस्तान को ठिकाने लगाने के मूड में आ गया। यह बात अपनी जगह सही भी है कि जब दो देश युद्ध लड़ते हैं, तब लड़ाई केवल दो सेनाओं के बीच नहीं होती।

और फिर भारत जैसे जिम्मेदार देश को तो एक साथ अनेक मोर्चों पर युद्ध लड़ना होता है। उसे अपनी सैन्य कार्रवाई एकदम सटीक निशाने पर करनी होती है, जिसका अपेक्षित परिणाम शत प्रतिशत लक्ष्य की प्राप्ति करता हो। इसी के साथ उसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वही  प्रामाणिकता प्रदर्शित करनी होती है, जैसा वह चाहता है अथवा जैसा उसने सोच रखा होता है। इसी के साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दुश्मन की नापाक हरकतों  को ठीक तरह से एक्सपोज किया जा सके, यह प्रयास भी बड़े पैमाने पर करने होते हैं। दुश्मन आर्थिक और सैन्य सहायता प्राप्त करने के मामले में वैश्विक स्तर पर अलग-थलग किया जा सके, ऐसी रणनीति बनाकर सावधानी पूर्वक उसे अंजाम देना होता है। जब शत्रु देश से दो दो हाथ हो रहे हों तब केवल सेना और सरकार ही युद्ध लड़ रहे होते हैं, यह पूरा सच नहीं है।

पूर्ण सत्यता यह है कि उपरोक्त देश के नागरिकों को भी अपने स्तर पर युद्ध के लिए सन्निध होना पड़ता है। आसमान से मिसाइलों और सैन्य गतिविधियों की गड़गड़ाहट भले ही शांत पड़ गई हो, फिर भी प्रत्येक भारतीय नागरिक का कर्तव्य है कि वह स्वयं को इन परिस्थितियों से जोड़कर बनाए रखे। ठीक उसी तरह, जैसे भारतीय जनता पार्टी के लाखों पदाधिकारी और कार्यकर्ता गण जनता के बीच पहुंचकर उन्हें पाकिस्तान पर की गई सैन्य कार्यवाही की उपलब्धियों से अवगत कराने जनता के बीच पहुंच रहे हैं। यह बताने के लिए कि एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते अब हमें कौन-कौन सी सावधानियां बरतनी चाहिए। क्योंकि भारत समेत किसी भी देश में ऐसे तत्वों की उपस्थिति बनी रहती है जो हमारे बीच रहकर सुरक्षा संबंधी सूचनाओं को दुश्मन देश को भेजने का काम कर सकते हैं अथवा जाति संप्रदाय और समाज के नाम पर तनाव उत्पन्न करने के षडयंत्रों में लगे रहते हैं। सोशल मीडिया को ढाल बनाकर गलत अफवाहें फैलाना आज के युग में सबसे बड़ा खतरा बना हुआ है। उपरोक्त सभी हालातों को ध्यान में रखकर हमें पूर्व की अपेक्षा भविष्य में भी और अधिक सतर्क रहने की आवश्यकता है। इन परिस्थितियों में हमें ध्यान रखना होगा कि हमारे बीच कोई ऐसा व्यक्ति तो नहीं है जो अचानक सक्रिय हो उठा है और उसे अपने क्षेत्र में पहले कभी नहीं देखा गया हो। यदि किसी जाने अनजाने व्यक्ति की कार्य  प्रणाली अर्थात गतिविधियां संदिग्ध प्रतीत होती हैं तो इस बारे में पुलिस अथवा प्रशासन को तत्काल इत्तिला करना हमारा कर्तव्य होता है और दायित्व भी।

देश में ऐसे तत्वों की तादाद भी कम नहीं है जो सदैव ही सरकार और सेना को हतोत्साहित करने या फिर उनकी कार्रवाई पर सवालिया निशान चस्पा करने की फिराक में बने रहते हैं। चूंकि पूर्व में ऐसे कड़वे अनुभव हो चुके हैं। इसलिए अबकी बार जब शत्रु देश की अकल ठिकाने लगाने का काम हुआ तो सेटेलाइट से उपरोक्त सैन्य कार्रवाई के फोटो संकलित किए गए और वीडियो भी बनाए गए, जिन्हें इस अघोषित युद्ध के साथ-साथ प्रेस कांफ्रेंस के माध्यम से हमारे सेना प्रमुखों द्वारा समय-समय पर सार्वजनिक किया जाता रहा। नतीजतन इस बार समाज कंटक लोग अपनी हरकतों को अंजाम नहीं दे पाए।
लेकिन यह आइंदा भी चुप रहेंगे, यह अपेक्षा करना श्वान की पूंछ के सीधे होने की कामना करने के समान है। संभव है इनके द्वारा अब यह पूछा जाए कि सरकार ने पाकिस्तान को नेस्तनाबूद किए बगैर सैन्य कार्रवाई क्यों रोकी ? लेकिन सरकार इस बार उक्त षड्यंत्रकारियों से एक कदम आगे चलने की मंशा जाहिर कर चुकी है। यही वजह है कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने सत्ता और संगठन के जिम्मेदार लोगों को ताकीद दिया है कि वे जनता के बीच जाएं और उनके सामने वास्तविक परिस्थितियों को ज्यों की त्यों रख दें, ताकि किसी प्रकार की अफवाह को फैलने का स्थान शेष न रह जाए। इस मामले में जहां तक मेरा अनुभव है, उसके मुताबिक वास्तविकता तो यही है कि भारत ने पाकिस्तान के सैन्य महत्व के इंफ्रास्ट्रक्चर को तबाह करके, उसके 40 से अधिक जवानों और सौ से अधिक आतंकवादियों को मारकर अच्छा खासा सबक सिखा दिया है। यहां तक कि हमारी मिसाईलों ने पाकिस्तान के परमाणु ठिकानों के इर्द-गिर्द भी अपनी धमक पहुंचा कर यह बता दिया है कि भविष्य में किसी प्रकार की हिमाकत हुई तो वहां ऐसी कोई जगह शेष है ही नहीं, जहां हमारे  सैन्य आयुधों की पहुंच न हो सके।

वैसे भी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने देश के नाम संबोधन में यह स्पष्ट कर दिया है कि अब यदि पाकिस्तान के साथ कोई बात होगी तो वह केवल पीओके और आतंकवाद के बारे में ही होगी। जिंदा बचे रह गए उन आतंकवादियों के बारे में होगी, जिन्हें वहां की सरकार और सेना ने अपने दागदार दामन में छुपा रखा है। उन्होंने पूरी दमदारी के साथ यह ताकीद भी कर दिया कि अब खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते । टेरर के साथ ट्रेड और टॉक को भी एक साथ नहीं चलाया जा सकता। गाहे ब गाहे परमाणु बम चलाने की दी जाने वाली धमकियों पर अब कोई गौर नहीं होगा और ना ही भविष्य में न्यूक्लियर ब्लैकमेलिंग सहन की जाएगी। केवल सैनिक कार्यवाही स्थगित हुई है, पाकिस्तान पर लागू शेष बंदिशें यथावत जारी बनी रहेंगी। जहां तक ऑपरेशन सिंदूर की बात है तो खुद भारत सरकार और सेना स्पष्ट कर चुके हैं कि यह खत्म नहीं हुआ है । अभी इसे केवल स्थगित किया गया है, यह देखने के लिए कि जान माल का भारी नुकसान उठाने के बाद भी पाकिस्तान की अकल ठिकाने आ गई है अथवा नहीं।

देश की तीनों सेनाएं अलर्ट पर हैं, यदि उस ओर से जरा सी भी जुंबिश होती है तो फ़िर सीमा के पार आफत बरसनी तय है। जहां तक युद्ध के साथ बुद्ध को भी प्राथमिकता में बनाए रखने की बात है तो भारत एक जिम्मेदार देश है। पूरा विश्व भारत और भारतीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी से काफी उम्मीदें लगाए हुए है। अभी हम विश्व की पांच मुख्य अर्थ व्यवस्थाओं में से एक हैं। जल्दी ही दुनिया की तीन प्रमुख अर्थ व्यवस्थाओं में से एक का तमगा हासिल करना हमारा आगामी लक्ष्य है। विकास की इस गति ने चीन और पाकिस्तान जैसे हमारे शत्रु देशों को हलाकान कर रखा है। यह दोनों कतई नहीं चाहेंगे कि भारत इसी प्रकार शांत रहते हुए विश्व स्तर पर अपनी धमक और अधिक मजबूत बना सके। संभव है इनके द्वारा पहलगाम में जो नापाक हरकत की गई, वह इसी षड्यंत्र का एक प्रमुख हिस्सा थी। संभवतः शत्रु देश चाहते थे कि भारत युद्ध की विभीषिका में उलझकर विकास के पथ से भटक जाए। किंतु हुआ उल्टा, प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने तीनों सेनाओं के हाथ खुले रखते हुए उन्हें फ्री हैंड देकर पाकिस्तान की फजीहत सुनिश्चित कर दी और मात्र तीन-चार दिन की सैन्य कार्रवाई में उसके होश भी ठिकाने लगा दिए। अब हम सुरक्षा और विकास के बीच बेहतर संतुलन स्थापित करते हुए पहले की तरह एक बार फिर द्रुत गति से आगे बढ़ चले हैं। इस संकल्प के साथ कि हम अपनी ओर से किसी को छेड़ेंगे नहीं और यदि किसी ने हमें छेड़ा तो फिर हम उसे कदापि नहीं छोड़ेंगे।

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