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देश

देश में ATM का उपयोग तेजी से घटा, ज्यादातर लोग डिजिटल भुगतान का इस्तेमाल कर रहे

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Last updated: April 5, 2025 9:05 am
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16 Min Read
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मुंबई

डिजिटल युग के इस दौर में, एक तरफ जहां कैशलेस ट्रांजेक्शन अपना तेजी से स्थान बना रही है और लोगों की रोमर्रा की जिंदगी को आसान बना रही है। वहीं दूसरी तरफ लोग अब कैश के साथ ही साथ एटीएम का प्रयोग कम कर रहे हैं। इस बदलाव के पीछे सबसे प्रमुख कारण UPI पेमेंट्स का उभार है। UPI यानी यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस के माध्यम से लेन-देन आसान और तेज हो गया है, जिससे कैश निकासी की आवश्यकता में कमी आई है।

देश में डिजिटल पेमेंट का चलन तेजी से बढ़ रहा है। जिसके चलते एटीएम के इस्तेमाल में गिरावट आई है। इससे जुड़ी हुई आरबीआई ने रिपोर्ट भी पब्लिश की है।

भारत में ATM की संख्या में लगातार हो रही गिरावट

RBI के ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार,देश में एटीएम की संख्या में भारी कमी आई है। भारत में ATM की संख्या सितंबर 2023 में 219,000 से घटकर सितंबर 2024 में 215,000 हो गई है। यह गिरावट मुख्य रूप से ऑफ-साइट ATM में कमी के कारण हुई है। ये ATM सितंबर 2022 में 97,072 से गिरकर सितंबर 2024 में 87,638 तक पहुंच गए।

ATM की संख्या में कमी के कारण

वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने लोकसभा में बताया कि सरकारी बैंकों ने एटीएम बंद करने के लिए कई कारण बताए हैं। इनमें बैंकों का एकीकरण, एटीएम का कम इस्तेमाल, व्यावसायिक लाभ की कमी और एटीएम का स्थानांतरण शामिल हैं। बैंकर्स का कहना है कि डिजिटल भुगतान के बढ़ते चलन और यूपीआई के उभरने से नकदी का उपयोग कम हुआ है, जिससे एटीएम का संचालन अव्यावहारिक हो गया है।

UPI का बढ़ता दबदबा

पिछले नौ वर्षों में डिजिटल भुगतान और वित्तीय समावेशन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। जन धन योजना, मोबाइल इंटरनेट और यूपीआई के प्रसार ने इस बदलाव को बढ़ावा दिया है। पिछले पांच वर्षों में यूपीआई लेनदेन में 25 गुना वृद्धि हुई है। वित्त वर्ष 2018-19 में जहां 535 करोड़ यूपीआई लेनदेन हुए, वहीं 2023-24 में यह बढ़कर 13,113 करोड़ हो गए। इस वित्त वर्ष (सितंबर तक) यूपीआई के जरिए 122 लाख करोड़ रुपए के 8,566 करोड़ से अधिक ट्रांजैक्शन दर्ज हुए हैं।

डिजिटल इंडिया की ओर बढ़ता कदम

उपभोक्ता अब सब्जियों से लेकर ऑटो सवारी और महंगी खरीदारी तक के लिए यूपीआई का उपयोग कर रहे हैं। इस डिजिटल क्रांति ने भारत को नकदी से डिजिटल भुगतान की ओर तेजी से बढ़ाया है।

क्यों कम हो रहे ATM

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, देश में पिछले काफी समय से डिजिटल पेमेंट पर जोर दिया जा रहा है। डिजिटल पेमेंट करना लोगों को काफी आसान भी लगता है, इसलिए कम समय में ही यह पूरे देश में काफी लोकप्रिय हो गया है। बैंकों के घटती एटीएम की संख्या में काफी बड़ा रोल यूपीआई का भी है। पिछले कुछ समय से एटीएम के पॉपुलैरिटी में काफी कमी आई है। लोगों तक एटीएम की पहुंच अभी भी कम है, रिपोर्ट्स के अनुसार, देश में प्रति 100,000 लोगों पर केवल 15 एटीएम हैं।

RBI के नियमों का असर

देश में नकदी अभी भी भारत की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। वित्त वर्ष 22 में 89% लेन-देन और सकल घरेलू उत्पाद का 12% हिस्सा नगद लेन देन का ही था। लेकिन एटीएम लेन-देन और इंटरचेंज शुल्क पर RBI के नियमों ने ATM पर अपना गहरा असर डाला है। इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, यह बदलाव डिजिटल भुगतान विशेष रूप से यूपीआई की बढ़ती लोकप्रियता और डिजिटल परिवर्तन पर रणनीतिक ध्यान केंद्रित करने से प्रेरित है।

आइए सबसे पहले (Automated Teller Machine- ATM) के इतिहास पर एक नजर डालते हैं:
भारत में पहला एटीएम साल 1987 में HSBC ने मुंबई में लगाया था. उसके अगले 10 वर्षों में यानी 1997 तक देश में करीब 1500 एटीएम खुले. अगर दुनिया में पहला ATM की बात करें तो 27 जून 1967 को लंदन के एनफील्ड में एक कैश मशीन का उपयोग किया गया था, जिसे दुनिया की पहली एटीएम के रूप में मान्यता प्राप्त है. इस ATM को बार्कलेज बैंक ने शुरू किया था. 80 के दशक के दौरान दुनिया के कई बड़े देशों में ATM मुख्यधारा में शामिल हो गए थे.

इसके बाद साल 1997 में इंडियन बैंक्स एसोसिएशन (IBA) ने 'स्वधन' नामक से पहला ज्वाइंट ATM नेटवर्क शुरू किया, जिसे इंडिया स्विच कंपनी (ISC) ने संचालित किया. हालांकि, यह 2003 में बंद हो गया. उसके बाद 2004 में नेशनल फाइनेंशियल स्विच (NFS) की स्थापना हुई, जो आज भारत का सबसे बड़ा ATM नेटवर्क है, जिसे नेशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) संचालित करता है.

आज भारत में कुल इतने ATM
जनवरी 2022 तक, NFS नेटवर्क के तहत भारत में 2,55,000 से अधिक ATM थे, जिसमें नकदी जमा मशीनें और रिसाइक्लर शामिल थे. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) और NPCI के आंकड़ों के आधार पर 2023 तक भारत में लगभग 2,60,000 से 2,70,000 ATM होने का अनुमान था. फिलहाल भारत में लगभग 2.8 से 3 लाख ATM होने की संभावना है. फिलहाल देश में एक लाख लोगों पर 15 ATM हैं.  ATM की संख्या और प्रभाव के आधार पर SBI सबसे बड़ा ऑपरेटर है, लेकिन कैश मैनेजमेंट में CMS का दबदबा है.

भारत में अब तक कितने ATM बंद हो चुके हैं…
RBI के आंकड़ों के अनुसार, भारत में ATM की संख्या सितंबर 2023 में 2,19,000 थी, जो सितंबर 2024 में घटकर 2,15,000 हो गई.  इसका मतलब ये है कि इस अवधि में करीब 4 हजार ATM बंद हुए. यही नहीं, साल 2017 के बाद से ही ATM की संख्या में बढ़ोतरी धीमी हो गई, और साल-दर-साल इसका दायरा बढ़ता गया है. खासकर 2022 के बाद से ऑफ-साइट ATM (बैंक परिसर से बाहर स्थित) की संख्या में लगातार गिरावट आई है. यह डिजिटल भुगतान (जैसे UPI) के बढ़ते उपयोग, ATM संचालन की उच्च लागत, और बैंक शाखाओं के विलय के कारण हो रहा है.

क्यों बंद हो रहे हैं ATM?
यानी सबकुछ ग्राहकों पर निर्भर करता है, अगर ATM का खूब उपयोग होगा तो फिर कारोबार घाटे में नहीं चलेगा, वहीं अगर एक ATM महीने में 300-500 लेनदेन करता है, तो यह घाटे में भी जा सकता है. ये कड़वा सच है, देश में ATM का उपयोग तेजी से घटा है. क्योंकि ज्यादातर लोग डिजिटल भुगतान (UPI) का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिससे कुछ ATM बंद भी हुए. RBI के अनुसार, 2023 में भारत में प्रति ATM औसतन 50-100 लेनदेन प्रतिदिन होते थे, जो ऑपरेटर के लिए पर्याप्त आय सुनिश्चित करता है.

ATM के घाटे में जाने के कई कारण हो सकते हैं, जो तकनीकी, आर्थिक, और सामाजिक कारकों से जुड़े हैं.

ATM से कमाई के तरीके:
डिजिटल लेनदेन की वजह से ATM का इस्तेमाल कम हो रहा है, इसलिए इससे जुड़ीं कंपनियां घाटे में चल रही हैं. दरअसल, ATM की कमाई कई तरीकों से होती हैं, जो इस बात पर निर्भर करता है कि ATM को कौन संचालित कर रहा है- बैंक, व्हाइट-लेबल ATM ऑपरेटर (WLAs), या कोई तीसरी पार्टी.

कहां-कहां से होती है कमाई?
1. इंटरचेंज फीस (Interchange Fee)

जब कोई ग्राहक अपने बैंक के अलावा किसी अन्य बैंक के ATM से पैसे निकालता है, तो उसका बैंक उस ATM ऑनर (ऑपरेटर) को एक छोटी फीस देता है. इसे इंटरचेंज फीस कहते हैं. RBI के मुताबिक 17 रुपये प्रति नकद निकासी और 6 रुपये प्रति गैर-नकद लेनदेन (जैसे बैलेंस चेक) चार्ज ATM ऑपरेटर को भुगतान किया जाता है. उदाहरण के लिए अगर एक महीने में 1000 लोग किसी ATM से दूसरे बैंक का कार्ड इस्तेमाल करते हैं, तो ₹17 x 1000 = ₹17,000 की कमाई हो सकती है.

 2. सर्विस चार्ज या सरचार्ज (Service Charge/Surcharge)
RBI के सर्कुलर के हिसाब से ग्राहकों को अपने बैंक के ATM से 5 मुफ्त लेनदेन और अन्य बैंकों के ATM से 3 मुफ्त लेनदेन (मेट्रो शहरों में) हर महीने मिलते हैं. इससे ज्यादा ट्रांजैक्शन पर बैंक ग्राहकों से चार्ज वसूलता है. हर ट्रांजैक्शन पर 20 से 21 रुपये वसूला जाता है.

3. विज्ञापन से कमाई
इसके अलावा ATM की स्क्रीन पर विज्ञापन दिखाकर या ATM के बाहरी हिस्से पर ब्रांडिंग करके अतिरिक्त आय की जा सकती है. कुछ ATM मोबाइल रिचार्ज, बिल भुगतान, या मिनी स्टेटमेंट जैसी सेवाएं देते हैं, जिन पर कमीशन मिलता है. यह सेवा और लेनदेन की संख्या पर निर्भर करता है, लेकिन प्रति लेनदेन 2 से 10 रुपये तक वसूला जाता है. इसके अलावा बैंक अपने ATM में नकदी डालते हैं, जिससे ग्राहकों को शाखा में जाने की जरूरत कम पड़ती है. इससे बैंक का परिचालन खर्च (कर्मचारी, समय) बचता है. हालांकि यह इनडायरेक्‍ट कमाई है, लेकिन इससे बैंकों की बड़ी कमाई होती है, यानी बचत होता है.

ATM संचालन: लागत बनाम कमाई

किसी भी बिजनेस में घाटा तभी होता है, जब कमाई से ज्यादा लागत की राशि हो. फिलहाल ATM बिजनेस के साथ कुछ ऐसा हो रहा है. ज्यादा लागत है, लेकिन आमदनी दिनोदिन घटती जा रही है.

  – ATM लगाने में 2-5 लाख रुपये खर्च. (मशीन, सॉफ्टवेयर, इंस्टॉलेशन)

– रखरखाव: बिजली, सुरक्षा, नकदी भराई, और मरम्मत पर करीब हर महीने 20,000 रुपये से 50,000 रुपये तक खर्च.
– अगर ATM किराये की जगह पर है, तो फिर 10 से 20 हजार रुपये मंथली रेंट.

बैंकों का विलय और लागत कटौती
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के विलय के बाद, कई बैंक एक ही क्षेत्र में मौजूद अतिरिक्त ATM को बंद कर रहे हैं, ताकि लागत कम हो. इससे ATM की कुल संख्या स्थिर या कम हो रही है. लेकिन मौजूदा मशीनों पर दबाव बढ़ रहा है.

 ATM कैसे ऑपरेट होता है?
भारत में ATM सेवा और कमाई इस बात पर निर्भर करती है कि ATM को कौन संचालित कर रहा है- बैंक, व्हाइट-लेबल ATM ऑपरेटर (WLAs), या कोई तीसरी पार्टी.

व्हाइट-लेबल ATM (WLA) मॉडल
भारत में टाटा कम्युनिकेशंस (Indicash), Hitachi Payment Services और Vakrangee जैसे WLA ऑपरेटर ATM चलाते हैं. ये बैंक नहीं होते हैं, लेकिन ये बैंकों डील कर ATM को ऑपरेट करते हैं.

इंडिया1 पेमेंट्स (India1 Payments): पहले टाटा कम्युनिकेशंस पेमेंट सॉल्यूशंस के नाम से जानी जाती थी. यह भारत में सबसे बड़ा WLA ऑपरेटर है, जिसके पास 10,000+ ATM हैं. ग्रामीण इलाकों इसके ज्यादा ATM हैं. हिटाची पेमेंट सर्विसेज (Hitachi Payment Services) के तहत हजारों ATM ऑपरेट किए जाते हैं. यह तकनीकी और प्रबंधन सेवाएं भी देता है.

व्हाइट लेबल ATM ऑपरेटर (WLAOs) ने 25,000 से अधिक ATM लगाने में 1000 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च किए. लेकिन कम लेनदेन के कारण वे भी घाटे में हैं. हालांकि बड़े बैंक जैसे SBI अपनी विशाल नेटवर्क और बाजार हिस्सेदारी के कारण अभी भी लाभ कमा पा रहे हैं.

एजीएस ट्रांसएक्ट टेक्नोलॉजीज (AGS Transact Technologies): यह भी एक प्रमुख WLA ऑपरेटर है, जो ATM के साथ-साथ पेमेंट सॉल्यूशंस प्रदान करता है. जबकि वैकेंचर (Vakrangee) ग्रामीण क्षेत्रों में ATM और बैंकिंग सेवाएं प्रदान करता है.

FSS (Financial Software and Systems): कई बैंकों के लिए ATM नेटवर्क को मैनेज करता है, जिसमें साइट चयन, रखरखाव और मॉनिटरिंग शामिल है.

भारत में ATM को ऑपरेट करने और कैश प्रबंधन (रिप्लेनिशमेंट) से जुड़ी कंपनियां दो अलग-अलग श्रेणियों में आती हैं. ATM ऑपरेटर- ATM नेटवर्क को मैनेज करती है. कैश रिप्लेनिशमेंट कंपनियां- ATM में नकदी डालने का काम करती हैं. कुछ कंपनियां दोनों काम करती हैं.

भारत में ATM ऑपरेट करने वाली प्रमुख कंपनियां
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI): भारत में सबसे बड़ा ATM नेटवर्क SBI का है, साल 2023-24 तक देश में 65,000 अधिक ATM थे. SBI अपनी मशीनों को स्वयं ऑपरेट करता है और बाजार का लगभग 30% हिस्सा रखता है.

HDFC बैंक, ICICI बैंक, PNB, BoB: ये बड़े निजी और सार्वजनिक बैंक अपने ATM नेटवर्क को ऑपरेट करते हैं. इनके पास हजारों ATM हैं, जो मुख्य रूप से इनके अपने ग्राहकों के लिए हैं.

कैश डालने वाली प्रमुख कंपनियां (कैश रिप्लेनिशमेंट):
CMS इन्फो सिस्टम्स (CMS Info Systems): भारत में सबसे बड़ी कैश मैनेजमेंट कंपनी है, जो 2,55,000+ ATM सेवा देती है. यह ATM में कैश डालने, रखरखाव और सुरक्षा का काम करती है.

SIS प्रोसेगुर (SIS Prosegur): कैश-इन-ट्रांजिट (CIT), ATM रिप्लेनिशमेंट और फर्स्ट लेवल मेंटेनेंस (FLM) का काम करती है. यह सभी राज्यों में सेवाएं देती है.

ATM कारोबार घटने से डूबने लगी कंपनी
ATM बिजनेस में घाटे की वजह से व्हाइट लेबल ATM ऑपरेटर (WLA) एजीएस ट्रांसएक्ट टेक्नोलॉजीज (AGS Transact Technologies) कंपनी डूबने के कगार पर पहुंच चुकी है. तमाम बड़े अधिकारी इस्तीफे दे रहे हैं. इस कंपनी का IPO साल 2022 में आया था, और कुछ साल पहले तक कंपनी का शानदार बिजनेस था. लेकिन पिछले कुछ महीनों से कंपनी लगातार आर्थिक संकट से जूझ रही है.

AGS Transact Technologies के शेयर पिछले एक महीने में 60 फीसदी तक टूट चुके हैं, जबकि एक साल में 90 फीसदी शेयर गिर चुके हैं, पिछले कई हफ्तों से शेयर में लगातार लोअर सर्किट लग रहा है. यानी कंपनी आर्थिक तौर पर बर्बाद हो चुकी है. फिलहाल शेयर की कीमत गिरकर 7 रुपये हो चुकी है.

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