By using this site, you agree to the Privacy Policy and Terms of Use.
Accept
SW24 NewsSW24 NewsSW24 News
  • देश
    • उत्तर प्रदेश
    • बिहार
    • राजस्थान
  • विदेश
  • छत्तीसगढ़
  • मध्य प्रदेश
  • राजनीति
  • व्यवसाय
  • लाइफस्टाइल
    • धर्म-अध्यात्म
    • नौकरी
    • करिअर
  • About Us
Search

Archives

  • June 2025
  • May 2025
  • April 2025
  • March 2025
  • February 2025
  • January 2025

Categories

  • SOFTDOWNLOADS
  • Uncategorized
  • WINDOWS11
  • उत्तर प्रदेश
  • करिअर
  • छत्तीसगढ़
  • देश
  • धर्म-अध्यात्म
  • नौकरी
  • बिहार
  • मध्य प्रदेश
  • राजनीति
  • राजस्थान
  • लाइफस्टाइल
  • विदेश
  • व्यवसाय
  • Advertise
© 2025 SW24 NEWS Private Limited . All Rights Reserved.
Reading: भगोरिया में शामिल होने पलायन कर गए ग्रामीण लौटे, मेले का ऐतिहासिक महत्व
Share
Sign In
Notification Show More
Font ResizerAa
SW24 NewsSW24 News
  • देश
  • विदेश
  • छत्तीसगढ़
  • मध्य प्रदेश
  • राजनीति
  • व्यवसाय
  • लाइफस्टाइल
  • About Us
Search
  • देश
    • उत्तर प्रदेश
    • बिहार
    • राजस्थान
  • विदेश
  • छत्तीसगढ़
  • मध्य प्रदेश
  • राजनीति
  • व्यवसाय
  • लाइफस्टाइल
    • धर्म-अध्यात्म
    • नौकरी
    • करिअर
  • About Us
Have an existing account? Sign In
Follow US
  • Advertise
© 2022 Foxiz News Network. Ruby Design Company. All Rights Reserved.
देशमध्य प्रदेश

भगोरिया में शामिल होने पलायन कर गए ग्रामीण लौटे, मेले का ऐतिहासिक महत्व

Editor
Last updated: March 9, 2025 9:31 am
Editor
Share
9 Min Read
SHARE

आलीराजपुर/झाबुआ
आदिवासी अंचल में प्रमुख सांस्कृतिक पर्व भगोरियों मेलों की शुरुआत शुक्रवार से हो गई। अब 13 मार्च तक अंचल सांस्कृतिक उत्सव के उल्लास में डूबा रहेगा। पहले दिन झाबुआ-आलीराजपुर जिले के वालपुर, कट्ठीवाड़ा, उदयगढ़, बड़ी, भगोर, बेकल्दा, मांडली व कालीदेवी में मेले लगे।

हजारों की संख्या में लोग इनमें मांदल की थाप और बांसुरी की धुन पर पारंपरिक नृत्य करते हुए निकले। युवतियां भी पारंपरिक गेर भगोरिया का सबसे बड़ा आकर्षण रही। बड़ी संख्या में बाहर से भी लोग भगोरिया उत्सव में शामिल होने के लिए आए।

शनिवार को झाबुआ-आलीराजपुर जिले में नानपुर, उमराली, राणापुर, मेघनगर, बामनिया, झकनावदा व बलेड़ी में भगोरिया मेला लगेगा। इसके अलावा धार, बड़वानी, खरगोन, खंडवा में भी मेलों की धूम रहेगी। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के एक दिन पूर्व शुरू हुए मेलों में आधुनिकता भी दिखी।

भगोरिया को लेकर अलग-अलग मान्यताएं हैं। वरिष्ठ लेखक आरएस त्रिवेदी ने बताया कि भगोर नामक गांव माताजी के श्राप से उजड़ गया था जो बाद में वापस बसा। इस खुशी में वहां वार्षिक मेला आयोजित किया गया।

बाद में इस तरह के मेले अन्य कस्बों में भी लगने लगे, चूंकि यह परंपरा भगोर की तर्ज पर शुरू हुई थी, इसलिए इसका नाम भगोरिया पड़ गया। एक अन्य प्रथा के अनुसार होली के सात दिन पहले आने वाले हाट प्राचीनकाल में गुलालिया हाट कहे जाते थे।

भगोरिया हाट कहने लगे

गुलालिया हाट ही बाद में भगोरिया हाट कहे जाने लगे। सभी ग्रामीण हाट बाजार स्थल पर ही एकत्रित हो जाते। गुलाल उड़ती और उल्लास भरा वातावरण छा जाता।

रियासत काल में राजा व जागीरदार भी इसमें शामिल होते थे। वे होली की गोट यानी पुरस्कार स्वरूप कुछ नगदी व वस्तु अपनी प्रजा के बीच बांटते थे। अब यह भूमिका जन प्रतिनिधियों के हिस्से में आ गई है।

भगोरिया हाटों में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था

पुलिस का कहना है कि भगोरिया हाटों में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था रहेगी। भगोरिया में हथियारों के प्रदर्शन को पूरी तरह प्रतिबंधित किया गया है। साथ ही सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक संदेश अथवा ऑडियो-वीडियो वायरल करने पर भी सख्त कार्रवाई होगी।
भगोरिया उत्सव में निकलती है गेर

बता दें कि आदिवासी अंचल में होली से एक सप्ताह पूर्व से नगर, कस्बे व ग्राम में हाट बाजार के दिन भगोरिया हाट की परंपरा रही है। यह लोक पर्व देश-विदेश में मशहूर है। भगोरिया हाट में आदिवासी समाजजन पारंपरिक वेशभूषा में शामिल होते हैं तथा ढोल-मांदल की थाप व बांसुरी की तान के साथ नृत्य करते हुए गेर निकाली जाती है।

यह गेर भगोरिया का सबसे बड़ा आकर्षण है। इसमें आदिवासी समाज की पुरातन पारंपरिक संस्कृति के रंग बिखरते हैं। यही कारण है कि देश के साथ ही विदेश से भी लोग भगोरिया उत्सव देखने के लिए आते हैं।

कब-कहां पर भगोरिया हाट

    07 मार्च– वालपुर, कट्ठीवाड़ा, उदयगढ़, भगोर, बेकल्दा, मांडली व कालीदेवी।
    08 मार्च- नानपुर, उमराली, राणापुर, मेघनगर, बामनिया, झकनावदा व बलेड़ी।
    09 मार्च– छकतला, कुलवट, सोरवा, आमखुट, झाबुआ, झिरण, ढोल्यावाड़, रायपुरिया, काकनवानी व कनवाड़ा।
    10 मार्च– आलीराजपुर, आजादनगर, पेटलावद, रंभापुर, मोहनकोट, कुंदनपुर, रजला, बड़ा गुड़ा व मेड़वा।
    11 मार्च– बखतगढ़, आंबुआ, अंधारवाड़, पिटोल, खरडू, थांदला, तारखेड़ी व बरवेट।
    12 मार्च– बरझर, खट्टाली, चांदपुर, बोरी, उमरकोट, माछलिया, करवड़, बोड़ायता, कल्याणपुरा, मदरानी व ढेकल।
    13 मार्च– फुलमाल, सोंडवा, जोबट, पारा, हरिनगर, सारंगी, समोई व चौनपुरा।

आदिवासी समाज के लिए खास है भगोरिया पर्व, लड़के-लड़कियां चुनते हैं मनपसंद हमसफर

आदिवासी संस्कृति का पर्व भगोरिया की शुरुआत होने जा रही है. सात दिनों तक चलने वाला यह पर्व मुख्य रुप से आदिवासी क्षेत्र धार, झाबुआ, खरगोन, अलीराजपुर, करड़ावद जैसे क्षेत्र में विशेष रूप से मनाया जाता है. जिन अंचलों में आदिवासी समाज बड़ी संख्या में रह रहे हैं, वहां पर यह विशेष रुप से पूरे धूम धाम से मनाया जाता है.

इसी कड़ी में राजधानी भोपाल से सटे सीहोर जिले के कई गांवों में भगोरिया पर्व की धूम देखने को मिल रही है. सीहोर जिले के बिलकिसगंज, लाडकुई, ब्रिजिशनगर, सिद्दीकगंज, कोलारडेम क्षेत्र में हाट के दिन भगोरिया पर्व आयोजित होगा.  प्रदेश भर के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में आज 18 मार्च से भगोरिया लोकपर्व की शुरुआत होगी. 24 मार्च को होली दहन के साथ पर्व का समापन होगा.

क्यों पड़ा भगोरिया नाम?
भगोरिया महोत्सव आदिवासी समुदाय का सबसे बड़ा त्योहार माना जाता है. भगोरिया में आदिवासी समुदाय की संस्कृति की झलक देखने को मिलती है. ऐसी मान्यता है कि भगोरिया की शुरुआत राजा भोज के समय से हुई थी. उस समय दो भील राजाओं कासूमार और बालून ने अपनी राजधानी भगोर में मेले का आयोजन करना शुरू किया. धीरे-धीरे आसपास के भील राजाओं ने भी इन्हीं का अनुसरण करना शुरू किया, जिससे हाट और मेले को भगोरिया कहने का चलन बन गया.

सभी को रहता है बेसब्री से इंतजार
भगोरिया हाट में जाने के लिए बड़े, बूढ़े, बच्चे, युवा, युवतियां, महिलाएं हर कोई लालायित रहता है. एक महीने पहले से ही आदिवासी समाज भगोरिया पर्व की तैयारियों में जुट जाता है. आदिवासी युवतियां नए पारम्परिक परिधान पहनकर इस मेले में आती हैं. श्रृंगार करती हैं, तो युवा भी सजधज कर बंसी की धुन छेड़ने लगते हैं. आदिवासी जन ढोल मांदल कसने लग जाते हैं. चारों तरफ उत्साह और उमंग का वातावरण रहता है. खेतों में गेहूं और चने की फसल के साथ वातावरण में टेसू, महुआ, ताड़ी की मादकता अपना रस घोलती है.

तैयार किया जात विशेष ढोल
हाट में जगह-जगह भगोरिया नृत्य में ढोल की थाप, बांसुरी, घुंघरुओं की ध्वनियां सुनाई देती हैं, यह दृश्य बहुत ही मनमोहक होता है. इस पर्व के लिए बड़ा ढोल (मांदल) विशेष रूप से तैयार किया जाता है, जिसमें एक तरफ आटा लगाया जाता है. ढोल वजन में काफी भारी और बड़ा होता है.

पर्व में ऐसे तय होते हैं रिश्ते
भगोरिया मेले में युवक युवतियां एक ही रंग के वेश-भूषा में नजर आते हैं. इस दौरान कई युवक युवतियों का रिश्ता भी तय हो जाता है. भगोरिया में आने वाले युवक-युवतियां अपने लिए जीवन साथी की तलाश भी करते हैं. इनमें आपसी रजामंदी जाहिर करने का तरीका भी बेहद निराला होता है. सबसे पहले लड़का लड़की को पान खाने के लिए देता है.

अगर लड़की पान खा लेती है, तो रिश्ता हां समझा जाता है. इसके बाद युवक उस युवती को लेकर भगोरिया हाट से भाग जाता है और दोनों शादी कर लेते हैं. इसी तरह अगर युवक, युवती के गालों पर गुलाबी रंग लगा दे और जवाब में लड़की भी उसके गाल पर गुलाबी रंग लगा दे, तो भी यह रिश्ता तय माना जाता है.

आधुनिकता की छाप: भगोरिया का बदलता स्वरूप

समय के साथ भगोरिया का स्वरूप भी बदल रहा है। पहले जहां पारंपरिक वेशभूषा का बोलबाला था, वहीं अब युवाओं में जींस, टी-शर्ट और डिजाइनर टैटू का क्रेज बढ़ा है।

    अब युवा मोबाइल से फोटो-वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर अपलोड करने लगे हैं।
    भगोरिया में अब झूले, खाने-पीने की दुकानें, गोदना (टैटू) और इलेक्ट्रॉनिक सामान की दुकानें भी सजने लगी हैं।
    प्रशासन ने भी सीसीटीवी कैमरों से निगरानी शुरू कर दी है, ताकि मेले में कोई अव्यवस्था न हो।

राजनीति भी जुड़ी भगोरिया से

भगोरिया अब सिर्फ आदिवासियों का त्योहार नहीं, बल्कि राजनीतिक दलों के लिए भी जनता से जुड़ने का अवसर बन चुका है। भाजपा और कांग्रेस के नेता अपने समर्थकों के साथ भगोरिया में गेर निकालते हैं, झंडे लहराते हैं और अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं। वहीं, प्रशासनिक अधिकारी भी ड्यूटी के साथ-साथ भगोरिया का आनंद लेते नजर आते हैं।

 

TAGGED: Bhagoria Festival, top-news

Sign Up For Daily Newsletter

Be keep up! Get the latest breaking news delivered straight to your inbox.
[mc4wp_form]
By signing up, you agree to our Terms of Use and acknowledge the data practices in our Privacy Policy. You may unsubscribe at any time.
Share This Article
Facebook Twitter Copy Link Print
Share
What do you think?
Sad0
Happy0
Sleepy0
Angry0
Dead0
Wink0
Previous Article MP में खुलेंगे ट्राइबल मार्ट, मंत्री विजय शाह ने किया बड़ा ऐलान, जानें कहां से होगी इसकी शुरुआत
Next Article मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने जुमे के दिन होली का त्योहार पड़ने पर की गंगा-जमुनी तहजीब की अपील
Leave a comment Leave a comment

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Stay Connected

235.3kFollowersLike
69.1kFollowersFollow
11.6kFollowersPin
56.4kFollowersFollow
136kSubscribersSubscribe
4.4kFollowersFollow

Latest News

मेरी भूमिका सर्वोच्च न्यायालय तय करेगा, कोई दल या परिवार नहीं, तेज प्रताप यादव ने दिया बड़ा बयान
देश बिहार June 19, 2025
मंत्री अश्विनी वैष्णव ने रूस के उपप्रधानमंत्री अलेक्सी ओवरचुक से रेयर अर्थ मेटल के साथ कई मुद्दों पर की चर्चा
विदेश June 19, 2025
यूपी में हर दिन छह एनकाउंटर, आठ साल में 234 अपराधी ढेर, योगी सरकार आने के बाद से अपराधियों की शामत आई
उत्तर प्रदेश देश June 19, 2025
इजरायल और ईरान के बीच चल रही जंग में रूस की भी एंट्री, आते ही अमेरिका को दे डाली धमकी
विदेश June 19, 2025

Recent Posts

  • मेरी भूमिका सर्वोच्च न्यायालय तय करेगा, कोई दल या परिवार नहीं, तेज प्रताप यादव ने दिया बड़ा बयान
  • मंत्री अश्विनी वैष्णव ने रूस के उपप्रधानमंत्री अलेक्सी ओवरचुक से रेयर अर्थ मेटल के साथ कई मुद्दों पर की चर्चा
  • यूपी में हर दिन छह एनकाउंटर, आठ साल में 234 अपराधी ढेर, योगी सरकार आने के बाद से अपराधियों की शामत आई
  • इजरायल और ईरान के बीच चल रही जंग में रूस की भी एंट्री, आते ही अमेरिका को दे डाली धमकी
  • राजद कैसे बांटेगा बिहार विधानसभा के टिकट, लालू ने बेटे तेजस्वी यादव के फार्मूले पर लगाई मुहर

Recent Comments

No comments to show.

Top Categories

  • Advertise with us
  • Newsletters
  • Deal
SW24 NewsSW24 News
Follow US
© 2025 SW24 NEWS Private Limited . All Rights Reserved.
adbanner
AdBlock Detected
Our site is an advertising supported site. Please whitelist to support our site.
Okay, I'll Whitelist
Welcome Back!

Sign in to your account

Lost your password?