ग्वालियर
नई दिल्ली से रानी कमलापति के बीच चलने वाली शताब्दी एक्सप्रेस अब हाईटेक हो गई है। इस ट्रेन में मेट्रो, वंदे भारत और तेजस एक्सप्रेस की तर्ज पर अब ऑटोमेटिक डोर लगा दिए गए हैं। इसका ट्रायल भी हो चुका है और अब वंदे भारत की तरह इसके गेट खुलने भी लगे हैं।
कोच के दरवाजों पर इंडिकेटर और अलार्म भी लगाए गए हैं। यात्रियों की सुरक्षा बढ़ाने और आपराधिक घटनाओं को रोकने में यह ऑटोमेटिक डोर कारगर साबित होंगे। शताब्दी के चलने से 10 सेकंड पहले इसके सभी दरवाजे अपने आप बंद होने लगे हैं। इस ट्रेन में अभी हाल ही में इस व्यवस्था को शुरू किया गया है।
चेन पुलिंग पर भी नहीं खुलेंगे गेट
शताब्दी एक्सप्रेस के डोर लॉकिंग सिस्टम को वंदे भारत एक्सप्रेस की तर्ज पर विकसित किया गया है। वंदे भारत एक्सप्रेस में अगला स्टेशन आने की सूचना के साथ यह भी बताया जाता है कि दरवाजे किस ओर खुलेंगे। इसी तरह की व्यवस्था शताब्दी एक्सप्रेस में की गई है। कई बार लोग परिजनों के छूट जाने या अन्य किसी कारण से ट्रेन में चेन पुलिंग कर देते थे। अब ऐसा नहीं होगा। अब चेन पुलिंग करने पर भी दरवाजे नहीं खुलेंगे।
चोटिल होने से भी बचेंगे
अभी तक देखने में आ रहा है कि ट्रेनों के चलते समय प्लेटफॉर्म पर यात्री चढऩे और उतरने के प्रयास में चोटिल हो जाते हैं। कभी- कभी तो यात्रियों की मौत तक हो जाती है, लेकिन अब इस नई व्यवस्था से शताब्दी में इस तरह की घटनाएं नहीं हो सकेंगी। क्योंकि दरवाजे अपने आप ही बंद हो जाएंगे।
चोरी, छीना-झपटी की घटनाओं से मिलेगी राहत
शताब्दी एक्सप्रेस में सफर के दौरान यात्रियों को चोरी छीना-झपटी की घटनाओं से भी इस व्यवस्था के शुरू होने से राहत मिल जाएगी। इसके पहले शताब्दी एक्सप्रेस के दरवाजों को मैन्युअल तरीके से बंद किया जाता था। ट्रेन के चलने के दौरान रास्ते में आमतौर पर दोनों तरफ के दरवाजे खुले रहते थे और इसका फायदा शरारती तत्व उठा लेते थे, जिस नई प्रणाली से ट्रेन को लैस किया गया है। वह इसके स्टेशन पहुंचने और चलने के समय ही कार्य करेंगे।
शताब्दी एक्सप्रेस में ऑटोमेटिक डोर लगाए गए हैं। यह ट्रेन उत्तर रेलवे मंडल की है। उन्हीं के द्वारा इसे नया रूप दिया है।– शशिकांत त्रिपाठी, सीपीआरओ उत्तर मध्य रेलवे