बीजिंग
पहलगाम आतंकी हमला करने वाले लश्कर-ए-तैयबा के प्रॉक्सी संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) को अमेरिका ने विदेशी आतंकी संगठन घोषित किया है। इस पर चीन ने प्रतिक्रिया देते हुए अपने सदाबहार दोस्त पाकिस्तान को झटका दिया है। चीन ने शुक्रवार को क्षेत्रीय देशों से क्षेत्रीय सुरक्षा की रक्षा के लिए आतंकवाद-रोधी सहयोग बढ़ाने का आह्वान किया। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने शुक्रवार को एक मीडिया ब्रीफिंग में अमेरिकी विदेश विभाग द्वारा टीआरएफ को विदेशी आतंकवादी संगठन घोषित करने के बयान के बारे में पूछे जाने पर कहा, "चीन सभी प्रकार के आतंकवाद का दृढ़ता से विरोध करता है और 22 अप्रैल को हुए पहलगाम आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा करता है।"
उन्होंने कहा, "चीन क्षेत्रीय देशों से आतंकवाद-रोधी सहयोग बढ़ाने और क्षेत्रीय सुरक्षा एवं स्थिरता को संयुक्त रूप से बनाए रखने का आह्वान करता है।" चीन का यह बयान उसके दोस्त पाकिस्तान के नजरिए से झटका माना जा रहा है, क्योंकि पहलगाम हमले के बाद यूएनएससी में टीआरएफ और लश्कर जैसे शब्दों को चीन की आपत्ति के बाद हटा दिया गया था। ऐसे में पाकिस्तान को उम्मीद रही होगी कि इस बार भी चीन टीआरएफ के सवाल पर या तो पल्ला झाड़ लेगा या फिर पहलगाम हमले में किसी पाकिस्तानी आतंकी संगठन की संलिप्तता से इनकार कर देगा, लेकिन उसने आतंकवाद के खिलाफ बयान देकर पाकिस्तान के मन-मुताबिक बात नहीं की। वहीं, बार-बार पहलगाम हमले की निंदा करना भी पाकिस्तान को रास नहीं आया होगा।
अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने पहले एक बयान में कहा था कि विदेश विभाग टीआरएफ को एक विदेशी आतंकवादी संगठन और विशेष रूप से नामित वैश्विक आतंकवादी (एसडीजीटी) घोषित कर रहा है। टीआरएफ को अमेरिका द्वारा प्रतिबंधित किए जाने की बात संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, खासकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 1267 समिति, जो आतंकवादियों और उनके संगठनों को प्रतिबंधित करने वाली एक महत्वपूर्ण आतंकवाद-रोधी व्यवस्था है, में गूंजने की उम्मीद थी।
कई पाकिस्तानी आतंकवादी समूह और व्यक्ति संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 1267 प्रतिबंध व्यवस्था के अंतर्गत सूचीबद्ध हैं, जिसके अंतर्गत संपत्ति जब्त, यात्रा प्रतिबंध और हथियार प्रतिबंध लगाए जाते हैं। इनमें लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) और जमात-उद-दावा (जेयूडी) के साथ-साथ हाफिज सईद और मसूद अजहर जैसे प्रमुख आतंकवादी शामिल हैं। पहलगाम हमले के बाद, सयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने 25 अप्रैल को हमले की निंदा करते हुए एक कड़ा बयान जारी किया, लेकिन पाकिस्तान और चीन की आपत्तियों के बाद कथित तौर पर बयान से टीआरएफ और लश्कर-ए-तैयबा का उल्लेख हटा दिया गया। 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए हमले में 26 लोग मारे गए थे। टीआरएफ ने हमले की जिम्मेदारी ली थी। भारत ने पहलगाम हमले के जवाब में सात मई को पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में आतंकवादी ढांचों को निशाना बनाते हुए ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया था।
US से TRF को कैसे घोषित कराया आतंकी संगठन
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को 26 लोगों की नृशंस हत्या के एक महीने के भीतर भारत ने द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) के खिलाफ तैयार डोजियर अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र (UN) को सौंप दिया था। इसी का परिणाम है कि अमेरिकी विदेश विभाग ने TRF को वैश्विक आतंकवादी संगठन घोषित कर दिया। सूत्रों के मुताबिक, भारत को यह जानकारी चार दिन पहले ही दे दी गई थी कि TRF को अमेरिका द्वारा वैश्विक आतंकी संगठन घोषित किया जा रहा है।
यह घोषणा पाकिस्तान के लिए एक स्पष्ट संदेश है कि 'आतंकवाद पर जोरो टॉलरेंस' की नीति में भारत और अमेरिका कोई रियायत नहीं देगा। आपको बता दें कि पाकिस्तानी सेना प्रमुख फील्ड मार्शल आसिम मुनीर की राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मुलाकात के बाद यह फैसला हुआ है।
भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने 27-29 मई के वॉशिंगटन दौरे के दौरान यह डोजियर अमेरिकी विदेश विभाग को सौंपा। इसी प्रकार की जानकारी संयुक्त राष्ट्र की 1267 प्रतिबंध समिति को भी न्यूयॉर्क में दी गई।
लश्कर का मुखौटा है टीआरएफ
टीआरएफ की कमान शेख सज्जाद गुल उर्फ सज्जाद अहमद शेख के हाथ में है, जो पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI द्वारा लश्कर-ए-तैयबा (LeT) का 'कश्मीरी चेहरा' बनाकर तैयार किया गया है। TRF ने 2020 से 2024 तक कश्मीर घाटी में कई आतंकी हमलों को अंजाम दिया। इसने पहलगाम नरसंहार के अलावा, मध्य कश्मीर (2023) में ग्रेनेड हमले, 2023 में अनंतनाग के बिजबेहरा इलाके में जम्मू-कश्मीर पुलिस पर घात लगाकर हमला, गगनगीर, जेड-मोड़ सुरंग हमला और 2024 में गंदेरबल हमला किया है।
कौन है सज्जाद गुल?
सज्जाद गुल वर्तमान में रावलपिंडी में रहता है और जम्मू-कश्मीर में कट्टरपंथीकरण, भर्ती, आतंकवादी हमलों की योजना बनाने और उन्हें अंजाम देने में शामिल है। उसका भाई परवेज अहमद शेख 1990 के दशक में कश्मीर घाटी में एक आतंकवादी था। परवेज अपने परिवार के साथ सऊदी अरब गया और फिर पाकिस्तान चला गया। वह खाड़ी देशों में स्थित भारतीय भगोड़ों के साथ आतंकी फंडिंग और हवाला गतिविधियों में शामिल है।
दिल्ली में हुआ था गिरफ्तार
सज्जाद गुल को 2022 में यूएपीए के तहत आतंकवादी घोषित किया गया था। वह श्रीनगर के एचएमटी इलाके का रहने वाला है। उसने अपनी बुनियादी शिक्षा श्रीनगर में पूरी की और फिर बेंगलुरु से एमबीए किया। इसके बाद उसने केरल में लैब टेक्नीशियन का कोर्स किया और श्रीनगर लौटकर एक डायग्नोस्टिक लैब स्थापित की और साथ ही लश्कर-ए-तैयबा को सहायता प्रदान करना शुरू कर दिया। उसे दिल्ली पुलिस ने निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन से गिरफ्तार किया और उसके पास से पांच किलोग्राम आरडीएक्स बरामद किया गया। वह दिल्ली में बम विस्फोटों की साजिश रचने और ठिकानों की टोह लेने में शामिल था। गुल और उसके दो साथियों को 7 अगस्त, 2003 को 10 साल कैद की सजा सुनाई गई थी।
अपनी सजा पूरी होने और जेल से रिहा होने के बाद, सज्जाद 2017 में अपने परिवार के साथ पाकिस्तान भाग गया। आईएसआई ने ही 2019 में सज्जाद को लश्कर-ए-तैयबा का प्रमुख बनाने और यह दिखाने के लिए टीआरएफ का प्रमुख चुना था कि आतंकवाद जम्मू-कश्मीर में ही पनप रहा है। आईएसआई ने फरवरी 2019 में पुलवामा बम विस्फोट के बाद इस कदम की रणनीति बनाई थी। इसी समय पाकिस्तान आतंकवादियों और आतंकी समूहों को प्रायोजित करने और पनाह देने के लिए दुनिया की नजरों में आया था। टीआरएफ को यह दिखाने के लिए डिजाइन किया गया है कि कश्मीर में आतंकवाद एक स्वदेशी आंदोलन है, लेकिन सच्चाई यह है कि यह आईएसआई-लश्कर-ए-तैयबा की एक शैतानी संतान है।